नई दिल्ली। मप्र के राज्यपाल रामनरेश यादव पिछले तीन दिनों से दिल्ली में डटे हुए हैं। वो राष्ट्रपति महोदय से मिलना चाहते हैं परंतु राष्ट्रपति महोदय उनसे कतई मिलना नहीं चाहते। वो गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलना चाहते हैं परंतु राजनाथ जी के पास भी उनके लिए समय नहीं। यादव साहब जुगाड़ लगा रहे हैं। सफल हो गए तो भारत में पहली बार दिखाई देगा 'जुगाड़ का राज्यपाल' बहुत संभावना इस बात की है कि गृह मंत्रालय राज्यपाल को हटाने की सिफारिश कर सकता है।
व्यापमं मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद राज्यपाल यादव की दिल्ली यात्रा काफी महत्वपूर्ण है, यहां वे किसी से मुलाकात नहीं कर रहे हैं,मीडिया से भी उन्होने दूरी बना रखी है। हालांकि पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक राज्यपाल यादव को शनिवार शाम दिल्ली से भोपाल लौटना था, लेकिन उन्होंने वापसी का कार्यक्रम टाल दिया। माना जा रहा है कि उन्होंने राष्ट्रपति से मिलने की कोशिश नहीं छोड़ी है।
यादव के मामले को लेकर दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में भी हलचल है। जानकारों का मानना है कि केंद्र सरकार उनके मामले में जल्द ही कोई कदम भी उठा सकती है।
संविधान की धारा 156 के दो भागों में राज्यपालों के विषय में स्पष्ट कहा गया है कि राज्यपाल अपने पदों पर राष्ट्रपति के प्लेजर (खुशी) पर रह सकते हैं और राज्यपालों का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा।
वर्ष 2010 में जस्टिस बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि गवर्नर को हटाने का उचित कारण होना जरूरी है लेकिन यदि राज्यपालों पर किसी तरह की कानूनी कार्रवाई जैसी स्थिति आती है तो सुप्रीम कोर्ट की यह व्यवस्था उनका बचाव नहीं कर सकेगी। गृह मंत्रालय ऐसे मामले में राज्यपाल को हटाने का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेज सकता है।
मप्र के राज्यपाल को राष्ट्रपति का प्लेजर मिल नहीं पा रहा है, इस्तीफा देने को वो खुद तैयार नहीं हैं। पहले कहा कि इस्तीफा फैक्स नहीं करूंगा, हाथों हाथ दिल्ली जाकर दूंगा, अब कहते हैं मिलकर दुखदर्द सुनाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में गृहमंत्रालय मप्र के राज्यपाल को हटाने की सिफारिश कर सकता है।