इंदौर। पुलिस अब इंदौर सहित प्रदेश के कुछ बड़ों शहरों की निगरानी ड्रोन कैमरे से करेगी। छह ड्रोन कैमरे खरीदे जा रहे हैं, जिनमें से एक इंदौर पुलिस को मिलेगा। संवेदनशील शहरों की सूची में इंदौर व भोपाल का नाम आने के बाद मप्र पुलिस इस दिशा में काम कर रही है। डेढ़ महीने में इंदौर की निगरानी ड्रोन कैमरे से शुरू हो जाएगी।
मप्र पुलिस द्वारा खरीदे जाने वाले ड्रोन कैमरों से चार किलोमीटर तक के इलाके की निगरानी की जाएगी। इसके अलावा हवा में यह 500 मीटर की ऊंचाई पर रहकर जमीन पर देख सकेगा। ड्रोन कैमरे, बैटरी व पेलोड का वजन करीब 5 किलो तक होगा। इसका आकार ढाई फुट बाई ढाई फुट होगा।
यदि छह कैमरे किसी एक स्थान पर चार-चार किलोमीटर की दूरी पर लगाए जाएं तो ये करीब 24 किलोमीटर की निगरानी कर सकेंगे। अभी शॉर्ट रेंज वाले ड्रोन कैमरे खरीदे जा रहे हैं। आने वाले दिनों में पुलिस मीडियम रेंज के 15-20 किलोमीटर की दूरी व एक किलोमीटर की ऊंचाई तक नजर रखने वाले ड्रोन कैमरे भी खरीदेगी।
10 मिनट में असेम्बल होगा कैमरा, रात में भी निगरानी
इन कैमरों की खूबी यह है कि इन्हें 10 मिनट में असेंबल किया जा सकेगा। दिन में निगरानी करने के लिए अलग कैमरे लगाए जाएंगे और रात के अंधेरे में निगरानी के लिए अलग कैमरे इंस्टॉल किए जाएंगे। इस तरह ये ड्रोन कैमरे दिन व रात में काम कर सकेंगे।
30 लोगों को दी जाएगी विशेष ट्रेनिंग
पुलिस टेलीकम्युनेशन हेडक्वार्टर की ओर से ड्रोन कैमरों की खरीदी की जा रही है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के मुताबिक अगले डेढ़ महीने में इन कैमरों की खरीदी पूरी हो जाएगी और ये प्रदेश के 6 शहरों को दे दिए जाएंगे। इन्हें चलाने के लिए पुलिस के 25-30 जवान व अधिकारियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। एक ड्रोन कैमरे के साथ चार-पांच लोगों का स्टाफ रहेगा।
छह शहरों में बनेगा बेस कैंप
राज्य सरकार द्वारा 06 यूएवी सिस्टम के तहत हवा में निगरानी करने वाले कैमरे व व्हीकल ग्राउंड स्टेशन खरीदेगा। प्रदेश में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा सहित छह स्थानों पर इस सेटअप को रखकर यूएवी सिस्टम का बेस कैंप बनाया जाएगा। इनकी जिम्मेदारी अपने आसपास के क्षेत्र में किसी भी आपतकालीन या विशेष परिस्थिति में इस सेटअप को लगाने व ले जाकर इस्तेमाल करने की होगी।
मिलिट्री वर्जन कहलाता है ड्रोन
सामान्यतः ड्रोन कैमरों को अनमेन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) सिस्टम कहा जाता है। इसे बिना पायलट के हवा में चलने व निगरानी करने वाला सिस्टम कहा जाता है। इस सिस्टम के मिलिट्री वर्जन को ड्रोन नाम दिया गया है।
मिलिट्री के पास चिड़िया के आकार का ड्रोन कैमरा मौजूद है लेकिन मप्र पुलिस द्वारा खरीदा जाने वाले ड्रोन कैमरा उसके मुकाबले थोड़ा बड़ा होगा।
राज्य सरकार भी 06 यूएवी सिस्टम खरीदने की कवायद कर रही है। देश में पिछले डेढ़ वर्षों में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उप्र, दिल्ली जैसे राज्यों में ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल शुरू हुआ है। अब मप्र पुलिस भी ड्राने कैमरों से खुद को लेस कर कर रही है।
- इन मौकों पर होगा इस्तेमाल
- बड़ी रैलियां
- विशेष सभाएं
- वीआईपी मूवमेंट
- आतंकी व अपराध की घटनाओं के दौरान
- हाईजैक की स्थिति में
रैली, सभा में इस्तेमाल कर पहचानेंगे ऑब्जेक्ट
मप्र पुलिस सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 6 अनमेन्ड एरियल व्हीकल सिस्टम खरीद रही है। इंदौर, भोपाल, जबलपुर जैसे शहरों को इसका बेस कैम्प बनाकर एक-एक सिस्टम दिया जाएगा। अभी शॉर्ट रेंज के चार किलोमीटर की निगरानी करने वाले कैमरे खरीदे जा रहे हैं। इनका इस्तेमाल बड़ी रैली व सभाओं के दौरान किया जाएगा, ताकि टेक्निकल स्टाफ की ऑब्जेक्ट को पहचानने की प्रैक्टिस हो सके। यदि कही आतंकी, अपराधिक घटना व कम्युनल वायलेंस होने के दौरान भी इसे इस्तेमाल किया जाएगा।
अन्वेश मंगलम, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, पुलिस दूरसंचार