बिजली का बिल देखते ही सदमे से मर गया किसान

भोपाल। सरकार प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित किसानों के आंसू पौंछने का उपक्रम कर रही है और किसानों की मौत का क्रम लगातार जारी है। ताजा मामला श्यामपुर तहसील से सटे बैरागढ़ खुमान गांव से आ रहा है। यहां बिजली विभाग का नोटिस देखकर किसान सदमे से मर गया। अधिकारियों का कहना है कुछ भी हो, बिल तो भरना ही होगा।

जानकारी के अनुसार बिजली विभाग ने 10 साल पहले किसान ब्रह्मानंद पुत्र गोविंद सिंह मालवीय को 43,835 रुपए का बिजली थमाया था। जिसे भरने में किसान असमर्थ था और इसके एवज में बिजली विभाग ने 2 मार्च को उसके घर का सामान कुर्क करने का नोटिस जारी किया था। उधर, किसान के परिजनों ने बताया कि सामान कुर्क किए जाने का नोटिस मिलने के बाद से ही ब्रह्मानंद दुखी था और किसी से बात नहीं कर रहा था। इस सदमे ने किसान की जान ले ली।

जिस मकान का बिल सौंपा उसे नष्ट हुए सालों गुजर गए
किसान के परिजनों की माने तो विभाग ने जिस मकान का बिल उन्हें 10 साल पहले भेजा था उसे वे सालों पहले छोड़ चुके हैं। जब मकान ही नष्ट हो गया, तो नोटिस किस बात का भेजा गया। किसान के पास सिर्फ 3 एकड़ जमीन थी, जिसमें से आधी मौसम की मार के चलते नष्ट हो गई और आधी खाली पड़ी है। किसान की मौत से दुखी परिजनों ने श्यामपुर पुलिस चौकी और तहसील में उक्त नोटिस को मौत का कारण बताते हुए लिखित शिकायत दर्ज करवाई है।

बनाया जा रहा था दबाव
मृतक किसान की पत्नी ने बताया कि हम पर पहले से ही दो बेटियों की शादी की जिम्मेदारी थी, ऊपर से इस बिजली बिल ने परिवार के मुखिया की जान ले ली। उन्होंने बताया कि कंपनी द्वारा 2 मार्च को नोटिस भेजा गया था कि समय रहते बिजली बिल जमा कर दे, वरना सभी चल व अचल संपत्ति कुर्क कर दी जाएगी। कंपनी वाले बार-बार बिल भरने का दबाव बना रहे थे इस बात से परेशान किसान की सदमे में मौत हो गई। जानकारी के अनुसार एक दशक पहले ही किसान का परिवार गांव छोड़कर खेत में रहने चला गया था।

मौत का कारण बना नोटिस
मेरे पति की मौत बिजली बिल की बकाया राशि के लिए कीमती सामान की कुर्की के लिए मिला नोटिस है। जिसके जिम्मेदार कंपनी के अधिकारी है। पुलिस चौकी और तहसील में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखित रूप से शिकायत की है। कार्रवाई नहीं होने पर कानून का भी सहारा लूंगी। तेजूबाई, मृतिका की पत्नी।

मुझे फांसी पर लटकवा दो, लेकिन बिल तो देना ही होगा
किसान भले ही गांव का मकान छोड़कर खेत में रहने लगा हो, लेकिन उसने बिजली का इस्तेमाल किया है। उसने कुएं पर बने मकान पर भी बिजली का उपयोग किया है, इतना ही नहीं उसने पंप भी चलाया इसीलिए उसे नोटिस दिया गया है। चाहे मुझे इसके लिए फांसी पर लटकवा दो, लेकिन किसान को बिजली बिल जमा करना ही होगा।
जीएल सिंह, सहायक यंत्री विद्युत कंपनी श्यामपुर

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