दवा घोटाला: लाखों मरीजों को लगा दिया मिलावटी इंजेक्शन

भोपाल। प्रदेश के लाखों मरीजों की सेहत से खिलवाड़ का फिर बड़ा मामला सामने आया है। उन्हें घटिया क्वालिटी के इंजेक्शन लगा दिए गए। इसका खुलासा हाल में आई फूड एंड ड्रग रिपोर्ट में हुआ है। जांच रिपोर्ट तब आई है, जब अमानक बैच का इंजेक्शन पूरा खप गया। फरवरी, 2015 इसकी एक्सपायरी थी, जबकि अस्पतालों में रिपोर्ट मार्च में पहुंची। इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी इंदौर की है।

इस इंजेक्शन का इस्तेमाल एंटीबायोटिक के तौर पर किया जाता है। प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में वर्ष 2013 और 2014 में इसकी सप्लाई की गई थी। एक सरकारी अस्पताल से ड्रग इंस्पेक्टरों ने इसके नमूने लिए थे। ईदगाह हिल्स स्थित खाद्य एवं औषधि प्रयोगशाला में इस दवा की पिछले महीने जांच की गई। इस इंजेक्शन में दवा (ड्रग कंटेंट) 52 फीसदी ही मिली है। यानी, इंजेक्शन की क्वालिटी आधी है। दो इंजेक्शन लगाने के बाद एक इंजेक्शन के बराबर असर होगा।

अब अस्पतालों से संबंधित बैच का इंजेक्शन लौटाने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने जिलों को पत्र लिखा है, लेकिन इंजेक्शन कहीं भी नहीं हैं। करीब हफ्ते भर पहले आयरन सुक्रोस इंजेक्शन के अमानक मिलने की रिपोर्ट आई थी। इसके बाद खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने इंजेक्शन लौटाने के लिए कहा था। सरकारी अस्पतालों और मेडिकल स्टोर्स में बिक रहीं 147 अन्य दवाएं पिछले साल अमानक मिली थीं।

  • इन बीमारियों में लगाया गया​ मिलावटी इंजेक्शन

  1. बच्चों में निमोनिया होने पर
  2. प्रसव के बाद महिलाओं में संक्रमण रोकने के लिए
  3. ब्रांको-पल्मोनरी इन्फेक्शन
  4. चोट लगने पर
  5. यूरेनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई)
  6. बोन एंड ज्वाइंट इंफेक्शन
  7. बैक्टीरियल मेनेंजाइटिस (दिमागी बुखार)
  8. कांप्लीकेटेड स्किन एंड सॉफ्ट टिस्सू इंफेक्शन
  9. कुछ बीमारियों में दूसरे इंजेक्शन के साथ मिलाकर इसका इस्तेमाल किया जाता है


  • दवा का नाम-सेफ्टाजिडिम फॉर इंजेक्शन आईपी 250 एमजी
  • बैच नंबर- एमसीजेड 1201
  • निर्माण तिथि- मार्च 2013
  • एक्सपायरी डेट- फरवरी 2015
  • सरकारी अस्पतालों में सप्लाई कांट्रैक्ट- मार्च 2013 से जून 2014
  • कंपनी- मेसर्स नंदनी मेडिकल लैबोरेटरीज प्रा.लि. इंदौर
  • Nandini Medical Laboratories Private Limited


हर जिले में 30 हजार वायल महीने की खपत
सूत्रों ने बताया कि एंटीबायोटिक के तौर पर इस इंजेक्शन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। बड़े जिलों में हर महीने 30 हजार वायल और छोटे जिलों में करीब 20 हजार वायल की खपत है। एक वायल में सिर्फ एक डोज इंजेक्शन रहता है। इसकी कीमत 7 रुपए है।

फर्जी है Nandini Medical Laboratories Private Limited
नाम पढ़ने पर लगता है कि यह कोई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है परंतु एमसीए के रिकार्ड बताते हैं कि Nandini Medical Laboratories Private Limited नाम की तो काई कंपनी रजिस्टर्ड ही नहीं है। बाद में पता चला कि यह तो एक पार्टनरशिपिंग फर्म है। अपने नाम के साथ प्राइवेट लिमिटेड लगाकर खुद को कंपनी जताने का फर्जीवाड़ा किया गया है। अब सवाल यह उठता है कि एक पार्टनरशिप फर्म को इतना बड़ा सप्लाई का आर्डर दे कैसे दिया गया। 


इनका कहना है
52 फीसदी ड्रग कंटेंट का मतलब है 250 एमजी की जगह 130 एमजी दवा की मात्रा है। मापदंड के अुनसार 10 फीसदी कम-ज्यादा कंटेंट हो सकता है। दवाओं का स्टोरेज सही तरीके से नहीं होने की वजह से भी ड्रग कंटेंट कम हो जाता है। इस इंजेक्शन को ठंडी जगह में रखना चाहिए।
डीएम चिंचोलकर, रिटायर्ड ड्रग इंस्पेक्टर

हमेशा के लिए बेअसर हो जाएगी दवा
एंटीबायोटिक इंजेक्शन में ड्रंग कंटेंट तय मात्रा में नहीं मिलता तो इससे उस दवा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उस मरीज में आ जाती है। हमेशा के लिए वह दवा बेअसर हो जाती है। सरकार को जेनरिक दवा खरीदनी है, तो यूएस फूड एंड ड्रग एडिमिनेस्ट्रेशन से एप्रूव कंपनियों से खरीदनी चाहिए।
डॉ. योगेश बलुआपुरी, वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ

मंत्री को कुछ मालूम ही नहीं
इस संबंध में अभी मुझे जानकारी नहीं है। अधिकारियों से जानकारी लेकर मामले में नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
नरोत्तम मिश्रा, स्वास्थ्य मंत्री

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