भोपाल। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित करोड़ों रुपए के घोटाले में अभी तक 2000 व्यक्ति गिरफ्तार हो चुके हैं। वहीं 700-800 व्यक्तियों की गिरफ्तारी और होनी शेष है, जिन्हें आगामी चार-पांच माह में गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
प्रदेश के गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने बताया कि व्यापमं की विभिन्न परीक्षाओं में गड़बड़ियों के चलते अभी तक लगभग 2000 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जबकि 700-800 लोगों की गिरफ्तारी होनी अभी शेष है। गौर ने बताया कि आज ही उच्च न्यायालय में इस मामले की जांच कर रही एसटीएफ ने मामले की जांच और आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर अदालत से चार माह का समय मांगा था, जिसे अदालत ने मान्य कर लिया है।
उन्होंने कहा कि इन आरोपियों को चार-पांच माह में गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर हो रही देरी के संबंध में पूछे जाने पर गौर ने कहा कि यह मामला केवल मध्यप्रदेश का नहीं है बल्कि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के शामिल होने के कारण यह मामला अंतरराज्यीय हो गया है। उन्होंने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी का एक कारण यह भी है कि कई ने अपने पते गलत लिखा दिए थे।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह द्वारा एक्सल शीट में छेड़छाड़ किए जाने और हार्डडिस्क की जांच चंडीगढ़ अथवा हैदराबाद के स्थान पर अहमदाबाद में कराए जाने संबंधी प्रश्न के उत्तर में गौर ने कहा कि अहमदाबाद की प्रयोगशाला भी उसी प्रकार केन्द्र के तहत ही कार्य करती है जिस प्रकार चंडीगढ़ या हैदराबाद की प्रयोगशालाएं काम करती हैं।
उन्होंने कहा कि हैदाराबाद या चंडीगढ़ में बहुत कार्य है और वहां से रिपोर्ट आने में करीब दो-दो साल तक लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक एक्सल शीट के साथ छेड़छाड़ की बात है उस मामले की जांच की जा रही है। व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने संबंधी कांग्रेस की मांग के बारे में पूछे जाने पर गृहमंत्री ने कहा कि न केवल मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय बल्कि उच्चतम न्यायालय भी उनकी इस मांग को खारिज कर चुका है। उन्होंने कहा कि अदालत के निर्देश पर एसटीएफ इस मामले की जांच कर रहा है और जांच अपने अंतिम दौर में पहुंच चुकी है, इसलिए सीबीआई जांच की आवश्यकता नहीं है।
गौर ने बताया कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए 2000 लोगों में से 60 ही जेल में हैं, जबकि शेष की जमानत हो चुकी है। परिवहन आरक्षक भर्ती घोटाले के संबंध में पूछे जाने पर गौर ने कहा कि इस मामले में 27 लोगों ने परीक्षा में पास होने के बावजूद नौकरी शुरू नहीं की थी। उन्होंने बताया कि इन सभी को संदिग्ध माना गया है और इनमें से 17 की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि 22 की गिरफ्तारी होनी शेष है।
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस ने परिवहन आरक्षक भर्ती मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह के गृह जिले गोंदिया के अनेक लोगों को नियुक्ति दिए जाने के आरोप लगाए हैं, गौर ने कहा कि इस मामले में जांच की जा रही है।
गौर ने बताया, गत 16 जनवरी को कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी एवं विवेक तन्खा द्वारा एक पत्रकार वार्ता में किए गए इस दावे कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संविदा शिक्षक वर्ग दो परीक्षा 2011 में 48 उम्मीदवारों को पास कराने की सिफारिश की थी और सिंह ने एसआईटी के समक्ष दिए शपथ पत्र में कहा था कि इस मामले में चार्ज शीट से संबंधित कम्प्यूटर की एक्सल शीट में छेड़छाड़ कर इसमें 48 स्थानों पर सीएम लिखा गया था, जिसे हटा दिया गया है।
गृहमंत्री ने कहा कि इस मामले में तथ्य यह है कि कम्प्यूटर की हार्डडिस्क को जब्त जांचकर्ता एजेंसी करती है और उसकी फोरेंसिक लैब अहमदाबाद में थी। उन्होंने कहा कि लैब से हार्डडिस्क का जो भी डाटा प्राप्त हुआ उसके आधार पर जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि एसटीएफ द्वारा की जा रही जांच की निष्पक्षता इस बात से भी साबित हो जाती है कि मप्र के राज्यपाल, उनके पुत्र शैलेष यादव तथा उनके ओएसडी रहे धनराज यादव के खिलाफ भी प्रकरण कायम किए गए हैं। इनमें राज्यपाल के खिलाफ वनरक्षक परीक्षा घोटाले, उनके पुत्र के खिलाफ संविदा शिक्षक वर्ग तीन परीक्षा घोटाले और उनके ओएसडी के खिलाफ सब इंस्पेक्टर परीक्षा घोटाले को लेकर प्रकरण दर्ज हुए हैं।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने अपने खिलाफ एसटीएफ द्वारा कायम की गई प्राथमिकी रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा संबंधितों को नोटिस जारी कर इस संबंध में 25 मार्च तक जवाब मांगा गया है और तब तक राज्यपाल की गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई है।