जोबट/आलीराजपुर। ग्राम वागदी में कर्ज से परेशान एक किसान अपने ही खेत पर फांसी बनाकर झूल गया। यह सूचना मिलते ही आनन फानन कलेक्टर व एसडीएम मृतक के घर पहुंचे और इससे पहले कि मामला तूल पकड़ता, सबकुछ बेलेंस कर दिया गया। अब आत्महत्या का कारण एक रिश्तेदार को बताया जा रहा है परंतु उस रिश्तेदार के खिलाफ एफआईआर अभी तक नहीं हुई है।
सरकार के हित में इसे एक बेहतर न्यूसेंस मैनेजमेंट (nuisance management) कहते हैं। किसी गंभीरतम मामले को उठने से पहले ही ठंडा कर देना और कानून व व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखना। कलेक्टर शेखर वर्मा ने भी ऐसा ही किया। हालांकि किसान राजू ने आत्महत्या शनिवार को ही कर ली थी परंतु प्रशासन को जानकारी संडे को मिली और इससे पहले कि मीडिया के कैमरे वहां पहुंचकर मामले का मीडिया ट्रायल शुरू करते, कलेक्टर शेखर वर्मा आधी रात को ही किसान के घर जा पहुंचे व सबकुछ नियंत्रण में कर लिया।
अब पढ़िए सेंसरशिप के बाद मीडिया के सामने आई खबर:-
मृतक के दो छोटे पुत्र हैं और 6 माह का पुत्र अंधा है। ग्राम वागदी निवासी राजू पिता माधुसिंह (26) ने शनिवार रात को रखवाली के मकसद से खेत गया हुआ था, किन्तु उसके दिमाग में बैंक से लिए कर्ज की चिंता ज्यादा थी। खास बात यह है कि राजू जब महज चार साल का था, तब उसके पिता चल बसे थे और अब मृतक के सबसे बड़े पुत्र की उम्र भी चार साल ही है।
घटना की जानकारी परिजनों को रविवार सुबह उस वक्त लगी, जब मृतक का छोटा काका केशरसिंह ने उसे ढूंढते हुए खेत की ओर गया तथा आम के उस पेड़ तक पहुंच गया, जिस पर राजू की लाश झूल रही थी। भतीजे को झूलता देख उसकी चीख निकल गई, जिसे सुनकर बड़े काका सेकूसिंह भी दौड़कर वहां पहुंचे तथा परिजनों व फलिए वाले के साथ थाना नानपुर पहुंचे और प्राथमिकी दर्ज करवाई।
कर्ज तो था लेकिन परेशानी रिश्तेदार से थी
कर्ज से परेशान किसान द्वारा आत्महत्या की खबर देर रात प्रशासन तक पहुंची तो रविवार देर रात कलेक्टर शेखर वर्मा, एसडीएम शारदा चौहान, तहसीलदार शैलेन्द्र हनोतिया राजस्व अमले के साथ ग्राम वागदी में मृतक के घर पहुंचे और वस्तु स्थिति की जानकारी ली। एसडीएम शारदा चौहान ने बताया कि 2013 में किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से राजू ने एक लाख 40 हजार की राशि बतौर कर्ज ली थी और यह राशि उसके एक अन्य रिश्तेदार ने उपयोग में ले ली, लेकिन अब वह रिश्तेदार राशि लौटाने में आना-कानी कर रहा है।
गमगीन है माहौल
ग्राम वागदी के डावर फलिया में सन्नाटा पसरा है तथा फलिए वालों के मुंह से सिर्फ सिसकियां ही निकल रही हैं, क्योंकि मृतक राजू का बचपन काफी संघर्ष में बीता तथा अब वह परिवार का मुखिया बनकर परिवार की खुशी के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा था। स्वभाव से मिलनसार व सबके दुख में हमेशा आगे रहने वाला राजू कर्ज के इस तनाव को नहीं झेल पाया तथा जान दे दी। परिवार में दादी मां व पत्नी, दो पुत्र एक चार साल का तथा दूसरा 6 माह का है, जो दोनों आंखों से दृष्टिबाधित है।
बस इतनी सी चूक हो गई कलेक्टर महोदय से
इस मामले में सबकुछ मैनेज हो गया लेकिन एक छोटी सी चूक हो गई। प्रशासन द्वारा पेश की गई स्टोरी के अनुसार एक अच्छे और सच्चे किसान ने कर्ज से नहीं बल्कि रिश्तेदार से परेशान होकर आत्महत्या कर ली, परंतु प्रशासन ने उस रिश्तेदार के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है जिससे वो भला इंसान परेशान था। यदि प्रशासन की स्टोरी सही है तो उस रिश्तेदार को अब सलाखों के पीछे होना चाहिए जिसके कारण एक हंसता खेलता परिवार बर्बाद हो गया, अन्यथा यही कहा जाएगा कि सबकुछ मैनेज कर लिया गया। अब मृत किसान का गरीब परिवार जिसके पास अंतिम संस्कार के लिए तक पैसा नहीं है, कर्ज अब भी किसान के वारिस के सिर पर मौजूद है, कलेक्टर के खिलाफ जाकर सच बयां तो नहीं कर सकता।