WhatsApp से बचाई जच्चा की जान

जयपुर। स्मार्टफोन पर मौजूद सोशल नेटवर्किंग साइट्स और एप के दुरूपयोग की खबरें ही आम तौर पर आती हैं, लेकिन बीकानेर के डॉक्टरों ने वॉट्सएप का इस्तेमाल कर एक प्रसूता की जान बचाने का रचनात्मक और सकारात्मक काम किया है।

मामला बीकानेर की नोखा तहसील के गांव मैनसर का है। यहां 27 जनवरी की शाम गर्भवती श्रीमती मघी देवी का प्रसव हुआ, लेकिन प्रसव के तुंरत बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। उसे रक्तस्राव शुरू हो गया। अत्यधिक रक्तस्राव होने पर वहां नियुक्त डॉ. देवराज ने अपने साथी डॉक्टरों के वॉट्सएप ग्रुप पर मैसेज भेजकर महिला के हालात की जानकारी दी।

वॉट्सएप ग्रुप पर सक्रिय जिला दवा वितरण केंद्र के प्रभारी डॉ. नवल गुप्ता ने इसे हाथों-हाथ लिया। उन्होंने डॉ. देवराज को दिशा-निर्देश देने शुरू किए। ग्रुप पर सक्रिय अन्य डॉक्टरों में से किसी ने दवा बताई तो किसी ने स्टीचिंग के बारे में सलाह दी। करीब साढे तीन घंटे तक यह मशक्कत चलती रही।

डॉ. देवराज ने महिला की स्थिति के हिसाब से जरूरी सलाह मानी और जब रक्तस्राव नियंत्रण में आया तो महिला को नोखा सीएचसी और वहां से बीकानेर के पीबीएम अस्पतल लाया गया। रक्तस्राव रूकने के बाद प्रसूता के परिजन उसे अस्पताल ले जाने इच्छुक नहीं थे। वे चाहते थे कि घर पर ही इलाज हो जाए, जो संभव नहीं था। व्हॉट्सएप पर मिले संदेश परिजन को दिखाकर ब़ड़ी मुश्किल से उन्हें समझाया गया।

डॉ. नवल गुप्ता ने बताया कि प्रसूता की स्थिति बेहद गंभीर थी। स्वयं जिला कलेक्टर देर रात तक इस मामले पर निगरानी कर रही थीं। प्रसूता के साथ आई महिला प्रसूता का इलाज न करवाकर देवी-देवता के पास ले जाने की बात पर अड़ी हुई थी। किसी प्रकार उसको तैयार कर प्रसूता को पीबीएम लाकर इलाज शुरू करवाया गया। अब महिला की तबीयत ठीक है।

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