9 साल की मासूम ने पकड़ाया चाइल्ड ट्रेफिकिंग रैकेट

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इंदौर। 9 साल की पायल के साहस और समझदारी से बच्चों का अपहरण करने वाली गैंग पकड़ में आई है। बदमाश नगीन नगर से पायल सहित चार बच्चों को ले जाने की फिराक में थे। उन्होंने बच्चों को चॉकलेट और 10 रुपए देने का लालच दिया लेकिन पायल बदमाशों के इरादे भांप गई और चिल्लाकर लोगों को इकट्ठा कर लिया। लोगों ने बदमाशों की जमकर पिटाई की और फिर पुलिस को सौंप दिया। बदमाश बच्चों से महाराष्ट्र में भीख मंगवाने के लिए अपहरण कर रहे थे।

नगीन नगर में रविवार दोपहर ज्यादातर लोग भारत-पाकिस्तान का मैच देखने में व्यस्त थे। इसी दौरान नगीन नगर पावर हाउस के पास ऑटो (एमपी-09 आर-3570) से चार लोग पहुंचे। ऑटो में तीन लड़के व एक लड़की बैठी थी। वे दुलेचंद सांवले के घर के सामने उतरे। यहां सांवले के चार बच्चे पायल (9), रानू (7), दीपू (6) और काजल (4) खेल रहे थे। चारों ने उन्हें ऑटो में बैठने को कहा। जब उन्होंने इनकार किया तो बदमाशों ने कहा कि हम तुम्हें चॉकलेट खिलाएंगे, दस रुपए भी देंगे। कुछ ही दूर दुकान है। ऑटो से चलते हैं।

चॉकलेट के लालच में रानू, दीपू और काजल ऑटो में बैठ गए, लेकिन पायल बदमाशों के इरादे भांप गई और मदद के लिए जोर-जोर से आवाज लगाने लगी। बदमाश भाग पाते, इससे पहले रहवासियों ने उन्हें घेर लिया। उन्होंने बच्चियों को छुड़ाकर चारों को जमकर पीटा। आरोपियों का नाम सुनील पिता गोपाल परिवार, राजू पिता मुकेश धनंजय, राकेश पिता रमेश मराठा और वीरन पिता नेहरू सिंह है। सुनील ऑटो रिक्शा चालक है और वह पलासिया क्षेत्र में रहता है, जबकि अन्य गांधी हॉल के सामने फुटपाथ पर रहते हैं।

रस्सी से बांधकर ले गए बदमाशों को
अपहरण की सूचना पर करीब डेढ़ सौ लोग जमा हो गए। उन्होंने बदमाशों को रस्सी से बांधा और चंदन नगर थाने ले गए। इस दौरान रास्तेभर लोग उन्हें पीटते रहे। वारदात एरोड्रम थाना क्षेत्र की होने के कारण चंदन नगर पुलिस ने आरोपियों को एरोड्रम थाने भेज दिया।

महाराष्ट्र में बेच देते बच्चों को
राजू और राकेश मूलतः महाराष्ट्र के 40 गांव के रहने वाले हैं। वे यहां चार साल से भीख मांग रहे थे। वीरन रतलाम की रहने वाली है। मां की मौत के बाद वह राजू और राकेश के संपर्क में आई। वह भी इनके साथ फुटपाथ पर रह रही थी। पता चला है कि आरोपी बच्चों का अपहरण कर उन्हें चालीस गांव भेजने वाले थे। वह उन्हें वहां बेच देते या फिर उनसे भीख मंगवाते। वहीं, सुनील का कहना है कि मेरा तीनों से कोई लेना-देना नहीं है। इन्होंने मुझसे कहा कि हमें घूमने जाना है, इसलिए मैं इन्हें ऑटो से लेकर नगीन नगर आ गया।

पायल की जुबानी, साहस की कहानी
पायल की उम्र 9 साल है। वह एक सरकारी स्कूल में तीसरी कक्षा की छात्रा है। पिता मजदूरी करते हैं। मां दूसरों के घरों में काम करती है। पायल ने बताया कि मम्मी-पापा काम पर गए थे। हम सभी भाई-बहन घर के बाहर खेल रहे थे। तभी यह लोग ऑटो लेकर आए। भाई-बहनों को लालच देकर बैठाया। मैं डर गई। वह मुझे भी बैठाने वाले थे। मुझे चॉकलेट और रुपए देने का बोल रहे थे। मैंने मना किया तो वे मुझे पकड़ने के लिए आगे बढ़ने लगे। मैं चीखने लगी। वे भागने की तैयारी में थे कि आसपास के अंकल ने उन्हें पकड़ लिया।

अपहरण का केस दर्ज कर लिया है
आरोपियों पर अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ये बच्चों को कहां ले जाने वाले थे, यह पूछताछ के बाद ही पता चल सकेगा। कन्हैयालाल दांगी, टीआई, एरोड्रम थाना


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