पूर्व नपाध्यक्ष राकेश गिरी की कहानी भाग-1

भोपाल। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर अपनी पत्नि को नगरपालिका अध्यक्ष बनवाने का आरोप झेल रहे भाजपा नेता राकेश गिरी इन दिनों प्रदेश भर में चर्चाओं में हैं। मंत्री नरोत्तम मिश्रा के पेडन्यूज कांड के बाद यह फर्जी जाति प्रमाण पत्र कांड सुर्खियां बटोर रहा है।

आइए झांकते हैं टीकमगढ़ के सर्वाधिक चर्चित नेता राकेश गिरी के जीवन से जुड़ी कुछ कहानियों की ओर। लोग बताते हैं कि स्वर्गीय नाथूराम गिरी एवं उनकी पत्नि जयकुॅवर गिरी टीकमगढ़ में बहुत संघर्षपूर्ण जीवन बिताया करते थे। ​गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाला गिरी परिवार में माता पिता के अलावा 5 संतानें थीं जिनमे राकेश, महेश, मनोज, प्रवेश एवं पुत्री कामनी सहित दो पुत्रियां थीं। संघर्ष इतना कठित था कि पिता नाथूराम गिरी परिवार के भरण पोषण के लिए भीड़ भरे इलाकों में चना आलू बेचा करते थे। हालात यह थे कि स्व. नाथूराम गिरी के पास अपना इलाज कराने तक के लिए वक्त और पैसा नहीं हुआ करता था। टीकमगढ़ के लोग आज भी स्व. नाथूराम गिरी के संघर्ष को याद कर सिहर उठते हैं।

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