नई दिल्ली। RBI ने पिछले दिनों रेपो रेट में 0.25 फीसद की कमी करने का एलान किया. यह कदम भारत में सस्ती ब्याज दरों के लौटने का आगाज है. खबर है कि वर्ष 2015 में कर्ज की दरों में एक फीसद तक कटौती हो सकती है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ बड़े आर्थिक थिंक टैंक ने जून 2016 तक दो फीसद तक की कटौती की संभावना जताई है.
असल में सस्ते कर्ज के दौर की शुरुआत FD दरों में कटौती से ही होती है. हाल के दिनों मे बैंको ने इन स्कीमों पर ब्याज दरों में 0.25 फीसद तक कटौती की है. आने वाले दिनों में इनमें और कमी हो सकती है. इसलिए जानकारों की राय है कि अभी FD स्कीमों में दो से चार वर्ष तक के लिए पैसा डालकर उसे लॉक कर देना चाहिए.
ब्याज दरों में जब गिरावट का दौर शुरू होता है तो आम ग्राहक के सामने यह सवाल उठता है कि वह होम लोन फ्लोटिंग दर पर लें या फिक्स्ड पर. वैसे ब्याज दरों के पिछले सात-आठ वर्षों से काफी ज्यादा रहने की वजह से बैंकों ने फिक्स्ड लोन स्कीमों को बंद ही कर दिया था. अब जबकि ब्याज दरों में गिरावट शुरू हो गई है तो ICICI, HDFC, SBI जैसे बड़े बैंकों ने फिर से स्थायी जमा दरों वाली होम लोन स्कीमें लांच की हैं.
आजकल कई बैंक फ्लोटिंग और फिक्स्ड के मिश्रण वाली लोन स्कीम भी ग्राहकों को दे रहे हैं. इसका लाभ उठाया जा सकता है. ग्राहकों के पास बाद में फ्लोटिंग से फिक्स्ड दर में कर्ज को ट्रांसफर करने का मौका होता है. इसके लिए कई बैंक अतिरिक्त शुल्क नहीं लेते.
