भोपाल। ये किसी कांग्रेसी नेता का आरोप नहीं बल्कि कोष एवं लेखा के ऑडिट रिपोर्ट बता रही है कि मध्यप्रदेश के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में दवा खरीदी घोटाला हुआ है। इतना ही नहीं सीएमओ एवं सिविल सर्जनों ने मिलकर और भी कई प्रकार की आर्थिक अनियमितताएं कीं हैं।
कोष एवं लेखा की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य अधिकारियों को दवा नीति 2009 के अनुसार सरकार से आंवटित राशि में से 20 प्रतिशत से खुले बाजार से दवा खरीदनी थी, लेकिन सभी जिलों में 40 से 85 प्रतिशत राशि खुले बाजार से दवा खरीदने पर खर्च की है। इसमें भी कई अधिकारियों ने निजी सप्लायर से दवा लेने के बाद गुणवत्ता जांचे बगैर रोगियों में बांट दी।
रिपोर्ट में लापरवाही बरतने वाले दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कई अस्पतालों में लंबे समय तक कई दवाओं का टोटा होने से रोगी आवश्यक दवाओं से वंचित रहे। इसके बावजूद संबंधित अधिकारियों ने सप्लायर द्वारा देर से दवा प्रदाय करने के बावजूद उन पर किसी भी प्रकार की कोई पेनाल्टी नहीं लगाई।
राज्य बीमारी सहायता निधि में गड़बड़ी
- कई जिलों में एक हितग्राही को दो-दो बार लाभ दिया गया।
- चिकित्सा संस्थाओं को इलाज का पैसा दिया, लेकिन उनसे बकाया राशि वापस आने पर रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया।
- हितग्राहियों को परिवहन राशि देने में अनियमितता।
- इस योजना का पैसा बगैर आवश्यकता के आहरण कर बैंक खातों में जमा किया।
- भंडारी अस्पताल इंदौर द्वारा 2012-13 से साढ़े पांच लाख राशि अटका कर रखना।
- स्वीकृत राशि से कम राशि का भुगतान करना।
- इलाज के बाद चैक जारी करना।
मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना में गड़बड़ी
- योजना में स्वीकृत राशि से कम का भुगतान करना।
- वित्त की अनुमति के बगैर खाता खोलकर इस योजना का पैसा इसमें रखना।
- इंदौर संभाग में परिवहन के नाम पर 2 लाख 86 हजार खर्च करने के साथ इस योजना के 14 लाख राज्य बीमारी में खर्च किए।
- धार के सरकारी अस्पताल में इलाज की व्यवस्था होने के बावजूद रोगियों को प्राइवेट अस्पतालों में भेजा।
- भोपाल कलेक्टर से बीपीएल प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर कराए बगैर भुगतान करना।
एक नजर इन जिलों पर
- भोपाल जिले ने नहीं दी जानकारी।
- इंदौर ने पिछले वर्ष 20 प्रतिशत की जगह 62.97 प्रतिशत राशि से खुले बाजार से खरीदी दवाएं।
- उज्जैन सिविल सर्जन ने 2 करोड़ 45 लाख से राधा स्वामी मेडिकल स्टोर से अनियमित तरीकें से खरीदी की।
- जबलपुर ने 20 की जगह 41 प्रतिशत राशि से खुले बाजार से दवा खरीदी, देर से दवा मिलने पर पेनाल्टी नहीं लगाई। वहीं गुणवत्ता जांचे बगैर रोगी को दवाएं बांट दी।
- ग्वालियर ने स्थानीय स्तर पर खरीदी गई दवाओं की एंट्री नहीं की। वहीं देरी से दवा मिलने पर पेनाल्टी भी नहीं लगाई।
- शाजापुर ने 5 करोड़, मंदसौर ने 2 करोड़, छिंदवाड़ा ने 2 करोड़, श्योपुर ने 60 लाख, धार 72 लाख और खंडवा ने 45 लाख स्र्पए की दवाएं नियमविरूद्ध तरीके से खुले बाजार से खरीदकर घोटाला किया है।
ऑडिट रिपोर्ट मिलने के बाद हम अपने स्तर पर परीक्षण करेंगे। जो भी दोषी होगा उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
प्रवीर कृष्ण
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य विभाग
