भोपाल। बड़ा अजीब सा लगता है ना कि जब पूरे देश में लोग मंहगाई से राहत की सांस ले रहे हैं मप्र में मंहगाई की मार बरकरार है। यहां किसी भी चीज के दाम घटने का नाम ही नहीं ले रहे, परंतु इस तपती दोपहर में राहत की बूंदे लेकर आए हैं रेत के दाम जो घटने वाले हैं।
स्टेट माइनिंग कार्पोरेशन ने नई माइनिंग नीति का प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट के लिए भेज दिया है। इसके अनुसार अब ठेकेदार को खदान से तीन गुना कम दर पर यानि 125 रुपए प्रति घन मीटर के हिसाब से रेत दी जाएगी। वर्तमान में यह दर 374 रुपए प्रति घन मीटर है। ऐसे में 249 रुपए प्रति घन मीटर रेत के दामों में कमी आने से प्रति डंपर 3000 रुपए तक रेत के दाम कम होने की संभावना है।
प्रस्तावित नीति में ठेकेदारों को तीन गुना अधिक रेत उत्खननन करने की अनुमति दी जाएगी, इससे जहां सरकार का खजाना भरेगा वहीं दूसरी ओर रेत के संकट से होने वाले अवैध खनन पर भी अंकुश लगेगा। माइनिंग कार्पोरेशन अपने 18 जिलों में रेत खदानों का प्लान बनाकर ई-नीलामी करेगा। वर्ष 2012 में कार्पोरेशन ने खदान से 1 करोड़ 67 लाख घन मीटर रेत निकालने का टेंडर दिया था। नई नीति में माइनिंग प्लान बनाकर इसे तीन गुना यानि 4 करोड़ 61 लाख रेत उत्खनन करने का ठेका दिया जाना प्रस्तावित है। इससे राज्य सरकार को लगभग 500 करोड़ रुपए के राजस्व मिलने की संभावना है। वर्तमान में राज्य सरकार को 128 करोड़ का राजस्व मिल रहा है।
कलेक्टरों से छिनेंगी खदानें
प्रदेश में 18 जिलों के 53 तहसीलों में माइनिंग कार्पोरेशन रेत खदानों की नीलामी करता है, वहीं कलेक्टर इन जिलों की शेष 82 तहसीलों में रेत खदानें नीलाम करते हैं। प्रस्तावित नीति में कलेक्टर से 82 तहसीलों में रेत खदान नीलाम करने के अधिकार वापस लिए जाएंगे।
अब 18 जिलों की सभी तहसीलों की रेत खदानों की नीलामी माईनिंग कार्पोरेशन ही करेगा। वहीं 33 अन्य जिलों में रेत खदान की नीलामी करने का अधिकार कलेक्टरों के पास पूर्ववत बना रहेगा। नई नीति के अनुसार अब कलेक्टर को भी ई-ऑक्शन से ही रेत खदान आवंटित करना होंगी। वर्तमान में कलेक्टर मैन्युअली बोली लगाकर खदान आवंटित करते हैं।
आम आदमी को यह होगा फायदा
वर्तमान में 1500 वर्गफीट का मकान बनाने पर लगभग 25 डंपर रेत लगती है। ऐसे में प्रति डंपर 14 हजार के हिसाब से लगभग साढ़े तीन लाख रुपए की रेत मकान में लग जाती है। नई नीति लागू होने के बाद 25 डंपरों पर आम आदमी को रेत पर लगभग 75 हजार रुपए की बचत होगी।
खदानों का हिसाब
माइनिंग कार्पोरेशन के पास कुल 450 खदानें हैं। इनमें डूब क्षेत्र वाली 84 खदानें कार्पोरेशन सरकार को सरेंडर कर घोषित खदानों की सूची से हटवाएगी। वहीं 33 जिलों में कलेक्टरों के अधीन 700 खदानें आती हैं।