टैक्स चोरी पर जेल: कहीं हम भी तालिबानी तो नहीं होते जा रहे

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उपदेश अवस्थी/लावारिस शहर। सन् 47 से पहले आजादी की लड़ाई किसलिए हुई थी, क्यों सन् 57 की क्रांति सफल नहीं हुई, जबकि 47 में एक आवाज पर पूरा देश उमड़ पड़ता था।

लोग किसके लिए लड़ रहे थे ?
क्या लोकसभा में 543 भारतीय सांसद भेजने के लिए ?
किसके खिलाफ लड़ रहे थे ?
क्या पथरीली राहों वाले देश में रेलगाड़ी चलाने वालों के खिलाफ ?

नहीं लोग लगान के खिलाफ लड़ रहे थे, वो इस कीमत पर विकास नहीं चाहते थे, जो उनसे वसूली जा रही थी। लगान लगातार बढ़ता जा रहा था और उसे हर हाल में वसूला जाता था। शासन संवेदनशील नहीं रह गया था और 47 का संघर्ष इसी के खिलाफ था। सोचते थे, वो पराए हैं, अपनी बात क्या समझें, लेकिन अब तो अपने हैं, फिर वो जल्लाद कैसे बन सकते हैं।

लगान अर्थात टैक्स

सरकार को सहयोग करना हर कोई चाहता है परंतु तब जब अपने परिवार के भरण पोषण और भविष्य की सेविंग के बाद बचे। अपना पेट काटकर टैक्स अदा करना पड़ा तो फिर कैसा लोकतंत्र, काहे की आजादी।

यह सवाल आज इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि केन्द्र सरकार अब आयकर अधिकारियों को एक विशेष प्रकार की शक्ति देने जा रही है। बिल्कुल वैसी ही जैसी अंग्रेजों के समय प्रशासनिक अधिकारियों के पास हुआ करती थी। एक नया कानून बनाया जा रहा है, जिसमें इनकम टैक्स चोरी करने वालों को जेल भेज दिया जाएगा।

तब लगान अदा करने में गुस्ताखी करने वालों की पीठ पर कोड़े मारे जाते थे, उन्हें जेलों में ठूंस दिया जाता था।

अब नया कानून बन जाने के बाद इनकम टैक्स में हेरफेर करने वालों की पीठ पर पुलिस के डंडे पड़ेंगे, उन्हें भी जेल में डाल दिया जाएगा।

अभी मौजूदा शक्तियां क्या कम हैं जो इस नए और इतने कड़े कानून की जरूरत पड़ गई। टैक्स चोरी पर संपत्ति तक राजसात करने का अधिकार पहले से ही इनकम टैक्स विभाग के पास मौजूद है। टैक्स चोरी के लिए जुर्माना और कुर्की अपने आप में काफी है। जरा सोचिए, एक व्यक्ति ने एक साल में 5 लाख रुपए कमाए, टैक्स बना 80 हजार रुपए। वो देना भी चाहता है, परंतु उसके माता पिता या परिवारजन दुर्घटनाग्रस्त हो गए। 3 लाख रुपया इलाज में खर्च हो गया। मात्र 2 लाख रुपए में बच्चों की मंहगी फीस के साथ गुजर कितनी मुश्किल है, बताने की जरूरत नहीं। ऐसी स्थिति में उसे टैक्स चोर बताकर क्या जेल में डाल दिया जाना चाहिए। क्या उसने जुर्माना सहित अगले साल टैक्स चुकाने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए।

इस नए कानून के साथ ही इनकम टैक्स अधिकारियों को अकूत अधिकार मिल जाएंगे। वो हर खासोआम को जेल में भेजने की ताकत रखेंगे, स्वभाविक है इस ताकत का दुरुपयोग भी किया जाएगा। पुलिस का दायरा तो सीमित है परंतु इनकम टैक्स अधिकारी चाहें तो हर तीसरे आदमी पर टैक्स रिकवरी निकाल दें। उनके चंगुल में तो आधा भारत आ जाएगा। टैक्स की गणना एक तकनीकी विषय है और भारत के ज्यादातर पढ़े लिखे लोग भी इसे नहीं कर पाते। इतिहास गवाह है, इनकम टैक्स में तो अब तक इतने संशोधन हो चुके हैं, जितनी धाराएं भारतीय संविधान में नहीं हैं। इसकी गणना स्कूल या कॉलेजों में भी नहीं पढ़ाई जाती। ऐसी स्थिति में यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि आने वाला नया कानून केवल और केवल जनता को लूटने और वसूली के लिए उपयोग किया जाएगा। इनकम टैक्स अधिकारी शक्तिशाली व्यक्ति हो जाएगा और वो जो चाहेगा, कर सकेगा।

मेरा सवाल केवल इतना है कि कहीं हम तालिबानी तो नहीं होते जा रहे। बलात्कारियों को बिना सुनवाई बीच सड़क पर फांसी की मांग, चोरों को पकड़े जाते ही हाथ काट देने वाले कानून की मांग, टैक्स चोरों को जेल भेज देने वाले कानून की तैयारी और ना जाने किस किस बात के लिए कड़े से कड़े कानून बनाने के विचार चल रहे हैं। इतिहास गवाह है, जहां जहां ऐसे कड़े कानून बने, आम जनता को तो कोई राहत नहीं मिली, हां, प्रशासक जरूर आतंकवादी हो गए। धरना प्रदर्शन के दौरान ऐसी तख्तियां लेकर मांग करना ठीक है, परंतु सत्ता में बैठे जिम्मेदार भी यदि ऐसा ही करने लगे तो क्या होगा भारत का भविष्य, कहीं फिर एक क्रांति, एक नई बगावत के बीज तो नहीं बोए जा रहे भारत में।

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