उपदेश अवस्थी/भोपाल। भर्ती घोटालों में घिरी मध्यप्रदेश सरकार शासकीय स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती लगातार टालती जा रही है और इसकी बदौलत हालात इतने खराब हो गए हैं कि मध्यप्रदेश में शिक्षा का स्तर देश में सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया है। मध्यप्रदेश के 33 फीसदी आठवीं के बच्चे 10 से 99 नंबर तक नहीं पहचान पाते, 70 फीसदी बच्चे भाग नहीं दे सकते, 76 फीसदी बच्चे घटाना नहीं जानते। यह खुलासा एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट में हुआ है।
यह राष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शन से भी बेहद पीछे है क्योंकि देश के कक्षा आठवीं के 25 फीसदी बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ भी नहीं पढ़ सकते हैं। मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा 65 फीसदी से अधिक है।
ग्रामीण भारत की स्कूली शिक्षा पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्था प्रथम की असर (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) नाम से जारी 10वीं सालाना रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। असर की निदेशक रूक्मिणी बनर्जी ने बताया कि संस्था ने 577 जिलों के 16,497 गांवों के 5 लाख 70 हजार बच्चों का सर्वे कर यह रिपोर्ट बनाई है।
रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच-छह वर्षों के दौरान हिमाचल, बिहार, ओडिशा और कर्नाटक में जहां पांचवीं के बच्चों की पढ़ने की क्षमता में सुधार हआ है, वहीं मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत कुछ राज्यों में बच्चों के पढ़ने की क्षमता और कम हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी स्कूलों की तुलना में निजी स्कूलों की स्थिति बेहतर है। हालांकि निजी स्कूलों के बच्चे भी कई मायनों में पिछड़े हुए हैं। प्रथम राजस्थान के मैनेजिंग ट्रस्टी केबी कोठारी ने कहा कि स्कूली शिक्षा को लेकर असर 2014 और 10 वर्षों की मूल्यांकन रिपोर्ट बेहद निराशाजनक है।
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में स्थिति विशेष तौर पर गंभीर है। ग्रामीण स्कूलों के प्रदर्शन में लगातार गिरावट आ रही है, जिस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
गणित में सबसे पीछे
रिपोर्ट बताती है कि गणित के मामले में शिक्षा की स्थिति सबसे ज्यादा गंभीर है। मध्यप्रदेश के 33 फीसदी आठवीं के बच्चे 10 से 99 नंबर तक नहीं पहचान पाते, 70 फीसदी बच्चे भाग नहीं दे सकते, 76 फीसदी बच्चे घटाना नहीं जानते। इसी तरह राजस्थान में 22.5 फीसदी आठवीं के बच्चे 10 से 99 नंबर तक नहीं पहचान पाते, 52 फीसदी बच्चे भाग नहीं दे सकते, 77 फीसदी बच्चे घटाना नहीं जानते।