नगीना (बिजनौर)। रात में अंगीठी जलाकर सोना एक परिवार के लिए मौत का काल बन गया। अंगीठी के धुएं से दम घुटने से चार मासूम भाई-बहनों की मौत हो गई, जबकि पिता और मां के साथ एक मासूम की हालत बिगड़ गई। गंभीर हालत में तीनों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एसपी समेत कई अफसरों ने घटनास्थल का मुआयना किया।
यूपी के बिजनौर में नगीना के मोहल्ला काजी सराय दोयम में 40 वर्षीय रिक्शा चालक अब्बास अहमद मो. सलीम के मकान में पिछले दो माह से किराए पर रह रहा है। शनिवार की रात पत्नी शाहीना खातून (35), पांच बच्चों दस वर्षीय पुत्र साजिद, छह वर्षीय फैज, पुत्री सादिका (12), आफिया चार साल व आशिया दो साल मकान में लोहे की दो चारपाई पर सो रहे थे। ठंड दूर करने के लिए कमरे में अंगीठी में जला कमरा बंद कर सभी सो गए। रविवार की सुबह नमाज के समय अब्बास के परिवार से जब कोई नहीं उठा तो पड़ोसियों ने दुमंजिले पर जाकर दरवाजा खटखटाया। अंदर से कोई हरकत न होने पर पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़ा तो चारपाई पर परिवार के सभी सदस्य रजाई में बेहोश मिले। चारपाई के पास अंगीठी व कोयला रखा था।
बेहोश सभी परिजनों को सीएचसी लाया गया, जहां सादिका, आफिया, आशिया और फैज को मृत घोषित कर दिया जबकि साजिद, अब्बास व शाहीना खातून की हालत नाजुक देख बिजनौर जिला अस्पताल भेजा गया है। घटना की सूचना पर अब्बास के मकान पर भारी भीड़ जमा हो गई। एसपी सतेंद्र कुमार सिंह, एसपी सिटी कल्पना सक्सेना, एसडीएम सतेंद्र सिंह, सीओे गमलेश्वर बिल्टोरिया ने मौका का मुआयना किया। विधायक मनोज पारस व पालिका के चेयरमैन खलीलुर्रहमान भी अस्पताल पहुंचे तथा घटना की जानकारी ली। बिजनौर से पहुंची फॉरेंसिक टीम ने भी रात में खाए खाने के नमूने लिए।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
हिंदू इंटर कॉलेज के रसायन विज्ञान प्रवक्ता कमलकांत शर्मा ने बताया कि यदि बंद कमरे में अंगीठी जलाई जाती है तो ऑक्सीजन की कमी होने के कारण कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस बन जाती है जो रक्त क्रिया कर ऑक्सी हॉमोग्लोबिन बना देती है, जिससे व्यक्ति की मौत हो सकती है। यह गैस गंधहीन होती है और इसकी पहचान नहीं होती है। प्रभारी चिकित्साधिकारी का कहना है कि कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस भारी मात्रा में शरीर में पहुंचने के कारण मासूमों की मौत होने के संभावना है।