राकेश दुबे@प्रतिदिन। नरेंद्र मोदी सरकार को यह विश्वास हो गया है कि उनकी सरकार में “लोटस” या किसी और नाम से किसी भी हथियार सौदे में कोई दलाली हो सकेगी अब दलाली क़ानूनी शक्ल देने की अक्ल लगे जा रही है| रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर के अनुसार केंद्र सरकार ने हथियारों की खरीद-फरोख्त में दलाली को इजाजत देना तय कर लिया है। पर्रिकर ने कहा कि व्यवस्था को जल्दी ही कानूनी जामा पहना दिया जाएगा। उन्होंने एक टीवी चैनलों से कहा, 'मध्यस्थों के नाम को सार्वजनिक करना होगा और उनके कमिशन को मोलभाव के नतीजों से नहीं जोड़ा जा सकेगा।'
सरकार ने कहा है कि ये दलाल कंपनियों की ओर से बैठकों में भी शामिल हो सकेंगे क्योंकि हो सकता है कि कंपनी के अधिकारी भारत में होने वाली हर बैठक में शामिल न हो पाएं। 1980 के दशक में बोफोर्स घोटाले के बाद रक्षा दलालों पर सालों तक प्रतिबंध लगा रहा क्योंकि राजनेताओं और अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप लगे थे। 2003 में एक रिपोर्ट आई थी जिसमें दलालों को वैध करने और मोलभाव की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की सिफारिश की गई थी लेकिन इससे भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगी क्योंकि किसी दलाल ने सरकार में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया।
रक्षा मंत्री पर्रिकर ने कहा कि मंत्रालय प्रतिबंधित रक्षा कंपनियों को कुछ शर्तों के आधार पर कुछ वक्त के लिए इजाजत दे सकती है। इसके साथ ही हथियारों के व्यापार में कंपनियों और ज्यादा छूट की भी योजना बनाई जा रही है। पर्रिकर ने कहा, 'निजी कंपनियों को भारत में बने हथियार निर्यात करने की इजाजत होनी चाहिए। इसके लिए नियमों में बदलाव किए जाएंगे।'
अभी कंपनियों को निर्यात के लिए सरकार की इजाजत लेनी होती है।
इससे फायदा उन कम्पनियों को होना है जिन्होंने हालही में अपने को रक्षा उपकरण के आयातक और निर्यातक के रूप में पंजीबद्ध कराया है|