फ्लाइट में 4 घंटे तक फंसे रहे कैलाश, एयर इंडिया को डपटा, यात्रियों को दी नसीहत

shailendra gupta
भोपाल। मप्र शासन के केबीनेट मंत्री एवं अमित शाह की टीम के संभावित खिलाड़ी कैलाश विजयर्गीय भी आज दिल्ली की सर्दी से दो चार हो ही लिए। एयर इंडिया की फ्लाइट पूरे 4 घंटे देरी से उड़ी। पैसेंजर्स के साथ कैलाशजी भी पूरे 4 घंटे तक फ्लाइट में ही अच्छे दिन आने का इंतजार करते रहे। सुरक्षा के नाम पर उन्हें नीचे भी नहीं उतरने दिया गया।


दिल्ली वाले कहते हैं कि दिल्ली की सर्दी का अर्थ यह नहीं कि तापमान गिर जाए और शरीर कंपकंपा उठे, दिल्ली की सर्दी का अर्थ होता है जब पूरा का पूरा तंत्र ही जम जाए ओर रूह कंपकंपा उठे। यदि कैलाशजी की मानें तो आज उन्होंने दिल्ली की सर्दी का स्वाद चख ही लिया। वो एयर इंडिया की फ्लाइट में पूरे 4 घंटे तक फंसे रहे। कोहरे के कारण दिल्ली से भोपाल की ओर आने वाली फ्लाइट उड़ान नहीं भर रही थी और कष्टकारी तो यह रहा कि सुरक्षा के नाम पर उन्हें नीचे उतरने भी नहीं दिया जा रहा था, उनके अलावा फ्लाइट में मौजूद सभी यात्रियों को वहीं फ्लाइट के अंदर ही 4 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। वैसे यह समस्या आज ही पैदा नहीं हुई, दिल्ली से भोपाल की ओर आने वाली फ्लाइट के पिछले एक सप्ताह से यही हाल हैं।

लौटकर आए कैलाशजी ने तमतमाते हुए सबसे पहले अपने फेसबुक पेज से एयर इंडिया पर हमला करने की तैयारियां कर डालीं परंतु उन्हें यह भी याद हो आया कि अब केन्द्र में अपनी ही सरकार है अत: संयम बरता गया। एयर इंडिया को धीरे से डपट दिया गया। 

पढ़िए क्या लिखा है कैलाश विजयर्गीय ने अपने फेसबुक पेज पर
आज नई दिल्ली से भोपाल आते समय एयर इंडिया की फ्लाइट कोहरे के कारण चार घंटे से भी ज्यादा विलम्ब से उड़ी। फ्लाइट कब उड़ेगी कोई भी बताने में समर्थ नहीं था और सुरक्षा के नाम पर यात्रियों को फ्लाइट से उतरने भी नहीं दिया जा रहा था जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल थे। असहाय एयर हॉस्टेस यात्रियों के गुस्से का शिकार हो रही थी। क्या एयर इंडिया को विपरीत परिस्थितियों को देखते हुये यात्रियों के लिये तमाम वैकल्पिक व्यवस्थायें नहीं करनी चाहिये। दूसरी तरफ मेरा यात्रियों से भी निवेदन है कि जब हमारे प्रधानमंत्री जी 9 दिन तक केवल निम्बू पानी पर रह सकते हैं तो हम कुछ समय का संयम नहीं रख सकते क्या?? प्रकृति पर किसी का नियंत्रण नहीं है लेकिन परिस्थिति पर हमारा नियंत्रण अवश्य हो सकता है।

इस मामले में अपना तो सिर्फ इतना ही कहना है कि कितना बेहतर होता कि यात्रियों को जो नसीहत उन्होंने फेसबुक पेज पर दी है वही नसीहत फ्लाइट के अंदर दे देते। 

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