SC-ST के पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों का संचालन जारी रखो: अरुण यादव की मांग

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों को उनके मूल स्वरूप में पूर्ववत संचालित करने की मांग राज्य सरकार से की है।

विगत 5 मार्च 2014 को राज्य शासन के आदिमजाति कल्याण विभाग ने विभागीय छात्रावास प्रवेश नियमों में जो संशोधन जारी किया है, उसके अनुसार पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में भविष्य में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में अध्ययनरत एससी-एसटी के विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं मिलेगा। इस नई व्यवस्था के फलस्वरूप पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में केवल इन वर्गों के 11 वीं और 12 वीं के विद्यार्थियों को ही प्रवेश की पात्रता रहेगी। छात्रावास व्यवस्था में इस बदलाव के कारण सरकारी छात्रावासों में रहकर गांव-कस्बों के जो छात्र-छात्राएं नगरों में रहकर अपनी कालेज की पढ़ाई कर लिया करते थे, उससे तत्काल वंचित होने की स्थिति पैदा हो गई है।

श्री यादव ने कहा है कि यह नई व्यवस्था आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के विद्यार्थियों के लिए कतई सुविधाजनक नहीं है, क्योंकि इस बदलाव के तहत स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के एससी-एसटी विद्यार्थियों को अब आवास सहायता की नई योजना के तहत हर महीने एक निश्चित राशि सरकार से मिलेगी, जिसके आधार पर उन्हें अकेले अथवा सामूहिक रूप से मकान किराये पर लेकर रहना पड़ेगा। छात्रावासों में रसोइये आदि की जो सेवाएं उपलब्ध रहती हैं, वे ऐसे विद्यार्थियों को नहीं मिलेंगी। 

आपने कहा है कि यह बदलाव अव्यावहारिक और विद्यार्थी विरोधी है, क्योंकि सरकार की तरफ से थोडी सी तयशुदा रकम विभाग की ओर से दी जाएगी। सब जानते हैं कि सरकार की ऐसी रकम विद्यार्थियों को कभी भी निर्धारित रूप से नहीं मिलती। ऐसी दशा में गरीब परिवारों से आये विद्यार्थियों को मकान मालिक अपना मकान किराये पर नहीं देंगे। दूसरा, जितनी राशि हर महीने सरकार से मिलेगी, उतने में अब नगरों और महानगरों में मकान किराये पर मिलना किसी भी दशा में संभव नहीं है।

एससी-एसटी के महाविद्यालयीन विद्यार्थियों द्वारा पोस्ट मैट्रिक छात्रावास की पूर्व व्यवस्था यथावत जारी रखे जाने के लिए की जा रही मांग का समर्थन करते हुए श्री यादव ने कहा है कि इस बदलाव से विद्यार्थियों में भारी असंतोष है और वे आंदोलन के लिए विवश हो रहे हैं। आपने कहा है कि राज्य सरकार छात्रावास प्रवेश नियमांे के इस संशोधन पर व्यावहारिकता के आधार पर पुनर्विचार कर पुरानी व्यवस्था को ही जारी रखें। सरकार का मूल उद्देश्य एससी-एसटी वर्ग के बच्चों को पढ़ाई के लिए सुविधाएं मुहैया कराने का है। यदि कोई नियम इस उद्देश्य की पूर्ति में बाधक बनता है तो उसको समाप्त कर दिया जाना चाहिए।

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