भोपाल। भोपाल के सवा दो सौ से ज्यादा मैरिज गार्डन और मैरिज हॉल में से एक भी वैध नहीं हैं, क्योंकि, मूलभूत सुविधाओं के साथ ही आग से बचाव और पार्किंग के लिए पर्याप्त इंतजाम करने के बाद नगर निगम में आवेदन पेश करना था, जिसकी पुष्टि के बाद वैधता प्रमाण-पत्र जारी होता।
इस प्रमाण-पत्र के बाद ही मैरिज गार्डन या मैरिज हाल का संचालन हो सकता था। खास यही कि नगर निगम प्रशासन ने इस बारे में 9 अप्रैल, 2014 को अल्टीमेटम दिया था, कि 15 दिन में आवश्यक इंतजाम करने के बाद प्रमाणीकरण के लिए आवेदन पेश करें। बावजूद सिर्फ डेढ़ दर्जन आवेदन ही आए हैं। ऐसे में नगर निगम कुछ भी निर्धारित नहीं कर सका है।
गौरतलब होगा कि 9 अप्रैल,2014 को नगर निगम मुख्यालय में मैरिज गार्डन संचालकों की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें 70 मैरिज गार्डन संचालकों के साथ ही आयुक्त विशेष गढ़पाले, अपर आयुक्त गोपाल प्रसाद माली, नगर निवेशक अमित गजभिए, उपायुक्त प्रदीप वर्मा आदि मौजूद थे। इस बैठक में बताया गया था कि हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने मैरिज गार्डन संचालन के नियम निर्देश राज्य शासन द्वारा निर्धारित किए जाने तक उज्जैन नगर निगम के प्रस्तावित नियम-निर्देशों का पालन करवाने के निर्देश दिए हैं।
हाईकोई के हैं ये निर्देश
उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने 14 नवंबर, 2013 को धीरेंद्र जैन बनाम सरकार प्रकरण याचिका की सुनवाई के बाद राज्य सरकार को निर्देश दिए थे। इसके बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने 29 मार्च 2014 को निर्देश जारी किए। इनमें मैरिज गार्डनों में सुरक्षा, पानी, आग से बचाव, पार्किंग आदि की मुकम्मल व्यवस्था करनी होगी।
15 दिन की मोहलत
मैरिज गार्डनों में हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित सुविधाएं 15 दिन में पूरी करने के साथ नगर निगम के सामने आवेदन भी करना था। इन सुविधाओं को वास्तव में किया गया है या नहीं, इस बारे में नगर निगम की टीम मौके पर जांच करके देखेगी। इसके बाद अगले 10 दिन में ही निगम प्रशासन को तय करना होगा कि मैरिज गार्डन को अधिकृत माना जाए या नहीं।