भोपाल। विधानसभा और लोकसभा की राजनीति के बाद अब मध्यप्रदेश में सहकारिता की राजनीति शुरू हो जाएगी। लोकसभा चुनावा आचार संहिता समाप्त होते ही प्रदेश में सहकारी बैंकों की चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसकी तैयारियां शुरू हो गईं हैं।
भाजपा संगठन के निर्देश पर बैंक अध्यक्षों व संचालक मंडल सदस्यों ने इस्तीफे दे दिए थे। इसके बाद 12 फरवरी को 27 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के बोर्ड भंग कर दिए गए थे। छह माह के भीतर इन बैंकों में चुनाव कराना जरूरी है। ऐसी स्थिति में 12 अगस्त से पहले चुनाव की प्रक्रिया पूरी की जाना है।
सहकारिता कानून के जानकारों के अनुसार चुनाव की प्रक्रिया में डेढ़ माह का समय लगता है, यानी मई के अंतिम सप्ताह में अधिसूचना जारी होने पर ही 12 अगस्त से पहले चुनाव कराए जा सकेंगे। सहकारिता चुनाव प्राधिकारी प्रभात पाराशर ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस से पहले बैंकों में नए बोर्ड का गठन हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की 38 जिला सहकारी बैंकों में से चार सागर, गुना, शहडोल और जबलपुर के बोर्ड पहले से ही भंग हैं। शिवपुरी, सीहोर, खरगौन, सतना, भिंड, झाबुआ और पन्ना यानी सात जिला बैंकों के बोर्ड का कार्यकाल अभी बाकी है।