भोपाल। राजधानी के स्कूल-कॉलेजों में संचालित बसें भले ही सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन न करें परंतु उनका किराया बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। बस ऑपरेटरों ने 15 जून से शुरू हो रहे शिक्षण सत्र से किराए में इजाफे की तैयारी कर ली है।
कम से कम और अधिकतम दूरी का किराया 100 रुपए तक बढ़ाया जा रहा है। स्कूल-कॉलेज बस ऑनर्स एसोसिएशन की दलील है कि पिछले एक साल में 11 बार डीजल की कीमतें बढ़ चुकी हैं, इसलिए किराया बढ़ाना मजबूरी है। पिछले साल भी एसोसिएशन ने लगभग इतना ही किराया बढ़ाया था।
इस समय शहर के स्कूल-कॉलेजों में 1550 बसें संचालित की जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार इनमें से करीब 200 स्कूल-कॉलेज बसों में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसी स्कूल-कॉलेज बसों के संचालकों को कई बार सरकार ने नोटिस दिया है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक स्पीड गवर्नर, स्कूल बस का रंग पीला, सुविधाजनक बैठक व्यवस्था, फस्र्ट एड बॉक्स जैसी सुविधाएं उनमें जरूरी हैं। लेकिन कई बसों ने गाइडलाइन का पालन करना तो दूर स्पीड गवर्नर तक नहीं लगवाए हैं।
स्कूलों में हुई थी चैकिंग
पिछले शिक्षण सत्र के दौरान तत्कालीन संभागायुक्त प्रवीण गर्ग ने जिला प्रशासन, आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस के दल बनाकर स्कूलों में भेजे थे। अधिकतर बड़े स्कूलों ने अपने यहां संचालित होने वाली बसों को गाइड लाइन के अनुरूप तैयार करवा लिया था।
इसके बाद भी 309 बसें ऐसी बच गई थीं, जिन्हें नोटिस जारी कर स्पीड गवर्नर लगवाने सहित अन्य सुधार कार्य करवाने की हिदायत दी गई थी। स्कूल-कॉलेज बस ऑनर्स एसोसिएशन अध्यक्ष नसीम परवेज का दावा है कि एसोसिएशन से संबंधित सभी बसें सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन कर रही हैं। बची हुई बसें उनकी एसोसिएशन से संबद्ध नहीं हैं।
चैकिंग के दौरान गायब हो जाती हैं खटारा बसें
बताया जाता है कि जब भी प्रशासन, स्कूल-कॉलेज बसों की जांच की मुहिम छेड़ता है, खटारा बसें सड़क से गायब हो जाती हैं। इस कारण जांच के दौरान गए दलों को खाली हाथ वापस लौटना पड़ता है। हाल ही में वैन व मैजिक की जांच के दौरान भी ऐसे हालात देखने को मिले थे।
फिटनेस देखकर ही देते हैं परमिट
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) अजय कुमार गुप्ता ने दावा किया है कि स्कूल-कॉलेज बसों की फिटनेस देखने के बाद ही परमिट जारी किया जाता है। आरटीओ ने बताया कि हमारे दल समय-समय पर जांच भी करते हैं। जो बसें फिट नहीं होतीं, उनके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की जाती है।
