भड़के प्रोफेसर्स: कहा रिटायरमेंट एज कम नहीं होने देंगे

भोपाल। प्रदेश के कॉलेज व विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर व प्राचार्यों की सेवानिवृत्ति आयु 65 से घटाकर 62 वर्ष करने के राज्य शासन के खिलाफ प्रोफेसर लामबंद हो गए हैं। शासन के इस फैसले के खिलाफ शिक्षक कोर्ट जाने की तैयारी करने लगे हैं। मध्यप्रदेश प्रादेशिक महाविद्यालयीन प्राध्यापक महासंघ ने साफ कहा है कि यदि शासन इस निर्णय को वापस नहीं लेता है तो आंदोलन किया जाएगा।

उच्च शिक्षा विभाग ने प्रोफेसरों और कॉलेज प्राचार्यों को 62 वर्ष में ही रिटायर करने का प्रस्ताव तैयार कर केबिनेट में भेज दिया है। महासंघ के अध्यक्ष डॉ कैलाश त्यागी का कहना है कि शासन ने अभी तक प्रोफेसरों को छठवें वेतनमान का एरियर नहीं दिया है और वेतनमान कम करने के नए नियम लगातार जारी किए जा रहे हैं। हालांकि, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने छठवें वेतनमान लागू करने के बाद सेवानिवृत्ति की आयु को 62 वर्ष करने का निर्णय केवल वैकल्पिक रखा था। लेकिन मध्यप्रदेश शासन इसे अनिवार्य करने जा रही है।

शासन के इस फैसले के खिलाफ महासंघ ने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया है। डॉ त्यागी का कहना है शासन के इस प्रस्ताव का विरोध ऑनलाइन प्रवेश प्रणाली का विरोध कर किया जाएगा। उधर विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर भी शासन के इस फैसले से हैरान हैं। शासन के इस प्रस्ताव का खुलासा होने के बाद यूनिवर्सिटी प्रोफेसर सीधे यूजीसी से संपर्क कर वास्तविकता का पता लगा रहे हैं। प्रोफेसरों का कहना है कि अभी तक यूजीसी की ओर से इस संबंध में कोई दिशा निर्देश जारी ही नहीं हुए हैं।

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