भोपाल। प्राइवेट स्कूलों में इस बार 10-30 फीसद तक बढ़ी फीस ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। इस वजह से कई अभिभावक स्कूलों में पहुंचकर बढ़ी फीस वापस लेने की मांग करने लगे हैं और वे विरोध-प्रदर्शन पर उतर आए हैं। वहीं, दूसरी ओर स्कूलों की फीस के साथ-साथ किताबें, यूनिफार्म, स्कूल बैग, बॉटल के भी दाम बढ़ गए हैं।
इधर, सीबीएसई स्कूलों के संगठन का इस मामले में कहना है कि स्कूलों में फीस वहां की सुविधाओं के आधार पर ही बढ़ाई जाती है। दरअसल, प्राइवेट स्कूलों पर नियंत्रण के लिए फीस नियामक आयोग के अस्तित्व में न आ पाने से यह स्थिति बनी हुई है। बीते दो सालों में इसे लेकर योजनाएं तो बनाई गर्इं, लेकिन वह अब तक धरातल पर नहीं उतारी जा सकीं। इससे प्राइवेट स्कूलों की फीस पर नियंत्रण नहीं हो सका है, जो हर वर्ष फीस में 10 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी करते हैं। इसका खामियाजा सीधे तौर पर अभिभावकों को भुगतना पड़ता है।
विरोध करने पर प्रबंधन बनाता है दबाव
विद्यार्थियों के अभिभावक यदि फीस वृद्धि के खिलाफ आवाज उठाते भी हैं, तो स्कूल प्रबंधन के दबाव में उन्हें पीछे हटना पड़ता है। वहीं आयोग के गठन को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी भी स्पष्ट कहने से बचते रहे हैं और आयोग के गठन की जानकारी होने से इनकार करते रहे हैं। वहीं, कोर्स की किताबें-कॉपियां 20-40 फीसद तक मंहगी हो गई हैं। दो साल पहले 900 रु. में मिलने वाला कोर्स अब 1377 रु. में मिल रहा है। इसमें भी कॉपी, प्लास्टिक कवर और कलर पैंसिल के दाम शामिल नहीं हैं और ये अलग से लेनी पड़ रही हैं। बड़ी कक्षाओं की स्थिति और भी चिंता में डाल देती है। दो साल में कोर्स पर 400 से 600 रु. तक की बढ़ोतरी हुई है। कोर्स का रेट बढ़ने का सबसे बड़ा कारण कॉपियां हैं।
टोकन से बिक रहीं किताबें
सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों में सत्र शुरू हो गया है। कुछ में दाखिले चल रहे हैं। अभिभावक किताब- कॉपियों खरीदने पहुंचने लगे हैं। दुकानों पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए कुछ बुक सेलरों ने टोकन सिस्टम शुरू किया है। अभिभावकों को टोकन लेने के बाद बुक्स के लिए घंटों खड़े रहना पड़ा है। शासन के उन निर्देशों का भी पालन नहीं हो रहा है, जिसमें विशेष दुकान पर कोर्स न रखने की हिदायत दी गई थी।