योग्य बेरोजगारों को नहीं, भाजपा कार्यकर्ताओं को दीं गईं नौकरियां

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने संविधान के अनुच्छेद 315 के खुले उल्लंघन की शिकायत करते हुए आज राज्यपाल रामनरेश यादव को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें ग्रामीण विकास के अंतर्गत परियोजना अधिकारी के स्वीकृत पदों पर निर्धारित चयन प्रक्रिया के अनुसार नियुक्तियां करने की बजाय भाजपा नेताओं की निजी एजेंसियों के माध्यम से नियुक्तियां की जाने की शिकायत की गई है।

श्री गुप्ता ने अपने ज्ञापन में कहा है कि परियोजना अधिकारी के स्वीकृत पदों पर संभावित खर्च की 75 प्रतिशत धनराशि केंद्र सरकार ने राज्य को दी है। इन पदों के लिए केंद्र सरकार ने जो चयन प्रक्रिया निर्धारित की है, उसके अनुसार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अतिरिक्त मुख्य सचिव, विकास आयुक्त तथा सचिव ग्रामीण विकास की चयन समिति द्वारा चयन किया जाना था, लेकिन इस स्वीकृत प्रक्रिया की अवहेलना कर निजी एजेंसियों द्वारा चयन के पश्चात नियुक्तियां की गई हैं।

श्री गुप्ता ने कहा है कि परियोजना अधिकारी के पद पर चयन के लिए विज्ञापन जारी किया गया था और तदनुसार चयन का काम स्वीकृत प्रक्रियानुसार लगभग 50 प्रतिशत पूर्ण कर लिया गया था। इसी बीच उच्च स्तरीय हस्तक्षेप के फलस्वरूप निर्धारित प्रक्रिया अचानक रोक दी गई और चयन का काम भाजपा नेताओं की निजी एजेंसियों को रहस्यमय स्थितियों में सौंप दिया गया। म.प्र. के इतिहास की यह पहली घटना है, जब सरकारी पदों पर निजी एजेंसियों से चयन का काम कराया गया।

कांग्रेस प्रवक्ता ने इस चयन और तदनुसार नियुक्तियों में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। आपने कहा है कि परियोजना अधिकारी के पद पर इन अवैध नियुक्तियों के कारण भारत सरकार से प्राप्त धनराशि में खयानत की स्थिति भी बन गई है, क्योंकि निजी एजेंसियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भाजपा कार्यकर्ताओं अथवा आरएसएस से जुड़े अपात्र लोगों की महत्वपूर्ण सरकारी पद पर नियुक्तियां हुई हैं।

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