भोपाल। पिछले दिनों शिवपुरी में हुई आमसभा को संबोधित करने से पहले भाजपा के सुपरस्टार नरेन्द्र मोदी ने काफी होमवर्क किया, कई मुद्दों का जिक्र किया परंतु सिंधिया पर सीधा हमला तो वो भी नहीं कर पाए और भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया के मुद्दों का तो इशारों तक में जिक्र नहीं किया।
सनद रहे कि गुना लोकसभा सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने से पहले जयभान सिंह पवैया ने हाईकमान के सामने कुछ शर्तें रखीं थीं। शिवपुरी में मोदी की आमसभा उन्हीं शर्तों में से दूसरी शर्त का पालन था। यह सभा हुई और इसे सफल भी कहा जा रहा है लेकिन इसकी सफलता को मतगणना के बाद ही प्रमाणित हो पाएगी। फिलहाल तो समीक्षाओं और दावे प्रतिदावों का वक्त है।
क्या मुद्दा है पवैया का
जयभान सिंह पवैया इस चुनाव में सामंतवाद के खिलाफ लोकतंत्र का झंडा उठाकर चल रहे हैं। वो सुबह से शाम तक हजारों बार श्रीमंत और महाराज पर हमला करते हैं, लोगों को याद दिलाते हैं कि हम आजाद हो गए हैं। अब कोई महाराज नहीं बचा, अब कोई श्रीमंत नहीं रहा। डरो मत, मैं हूं, सब ठीक कर दूंगा। पहले भी किया है। सिंधिया मुझसे डरते हैं, मैं ही अकेला ऐसा दमदार इंसान हूं जो आपको सिंधिया की गुलामी से मुक्ति दिला सकता है।
मोदी की सभा में क्या हुआ
नरेन्द्र मोदी ने अपनी सभा में ऐसे किसी भी विषय का जिक्र तक नहीं किया। उन्होंने इशारों इशारों में सिंधिया को अहंकारी कहा, परंतु दूसरी ही लाइन में यह अहंकार का आरोप राहुल गांधी से सिर मढ़ दिया। गुलामी और आजादी जैसे शब्दों के तो वो आसपास तक भी नहीं गए। उन्होंने शिवपुरी की समस्याओं को उठाया और जनप्रतिनिधियों को धिक्कारा और वादा किया कि यदि वो भाजपा को चुनते हैं तो उनकी सिंध की रुकी हुई पाइप लाइन के लिए एनओसी जारी करवा दी जाएगी।
अब क्या निष्कर्ष निकालें
कुछ लोगों का मानना है कि मोदी की सभा का प्रभाव पढ़ेगा और इससे भाजपा के वोटों में इजाफा होगा, राजनीति के एक पंडितजी तो शिवपुरी में पवैया और सिंधिया के बीच 1 लाख के अंतर का दावा कर रहे हैं परंतु कुछ धीर गंभीर लोगों का मानना है कि यह सभा लाभ नहीं नुक्सान देकर जाएगी। पहला तो सभा की टाइमिंग गलत थी, वोटिंग आते आते सभा का प्रभाव समाप्त हो जाएगा और दूसरे मंच पर मोदी के दांयी ओर की कुर्सी पर जो विराजमान थे, उनसे संदेश साफ हो गया है कि करना क्या है। तीसरे मोदी ने सिंधिया पर सीधा हमला ना कर यह इशारा भी कर दिया है कि व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस का प्रत्याशी इतना भी बुरा नहीं है।