9 साल बाद पकड़ाए आरटीओ कमिश्नर के फर्जी हस्ताक्षर

ईश्वर शर्मा/इंदौर। आरटीओ में एक पूर्व परिवहन कमिश्नर के फर्जी हस्ताक्षर करने का बड़ा मामला सामने आया है। इसमें दो अलग-अलग पत्रों में तत्कालीन परिवहन कमिश्नर एनके त्रिपाठी के अलग-अलग हस्ताक्षर हैं।

दस्तावेजों में गड़बड़ी का ये खुलासा कलेक्टर कार्यालय द्वारा हाल ही में एक आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा मांगी गई जानकारी में हुआ है।

लाखों रुपए की गड़बड़ियों और बाबुओं के भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े मामलों के बीच इंदौर आरटीओ कार्यालय की एक और बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। इस बार मामला फर्जी हस्ताक्षर कर आदेश पत्र जारी कर देने का है। हैरत की बात ये कि ये फर्जी हस्ताक्षर भी किसी छोटे-मोटे बाबू के नहीं बल्कि सीधे-सीधे तत्कालीन परिवहन कमिश्नर के हैं। मामला सन्‌ 2006 का है लेकिन इसका खुलासा हाल ही में कलेक्टर कार्यालय द्वारा आरटीआई के तहत दिए गए कुछ दस्तावेजों में हुआ है।

कुछ ऐसा है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि सन्‌ 2006 में सीनियर आईपीएस अधिकारी एनके त्रिपाठी परिवहन आयुक्त थे और ग्वालियर स्थित परिवहन मुख्यालय में बैठते थे। तब प्रदेशभर के जिला आरटीओ कार्यालयों में तबादलों से लेकर अन्य प्रदेश स्तरीय कार्यालयीन पत्र उनके हस्ताक्षर से ही जारी होते थे। उपलब्ध दस्तावेजों में जुलाई और सितंबर में जारी किए गए दो अलग-अलग पत्र शामिल हैं, जिनमें उनके श्री त्रिपाठी के दो अलग-अलग हस्ताक्षर हैं। पहला पत्र 10 जुलाई 2006 को जारी किया गया है जबकि दूसरा 30 सितंबर 2006 को। महज तीन माह में किसी अधिकारी के हस्ताक्षर तो बदल नहीं सकते। ऐसे में दस्तावेजों की बारीकी से जांच करने पर पता चला कि दोनों में से कोई एक हस्ताक्षर गलत हैं और वो तत्कालीन परिवहन आयुक्त की बजाय किसी बाबू ने किए हैं।

यूं पकड़ में आई गड़बड़ी
करीब 9 साल पुराना मामला होने से अब इसकी गड़बड़ियां सामने आने की कोई गुंजाइश नहीं थी, मगर भला हो सूचना के अधिकार का कि किसी दूसरे मामले के दस्तावेज जुटाने की कोशिश में संयोग से इस मामले का खुलासा हो गया। दरअसल, स्कीम नंबर 71 निवासी कैलाश सोनी ने आरटीओ में सूचना के अधिकार का आवेदन लगाकर तीन साल से ज्यादा समय से इंदौर आारटीओ में पदस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी।

श्री सोनी के मुताबिक 'पहले तो आरटीओ से टालमटोली चलती रही मगर जब लगातार आवेदन लगाए गए तो मामूली जानकारी देकर कह दिया कि आपको वांछित जानकारी दी जा चुकी है। इस पर श्री सोनी ने आरटीओ के अपीलीय अधिकारी यानी जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर जानकारी चाही। आखिर कलेक्टर कार्यालय के आदेश के चलते हाल ही में 28 मार्च 2014 को जानकारी दी गई। अपीलार्थी इन दस्तावेजों की जांच-पड़ताल कर रहे थे, तभी ये फर्जी हस्ताक्षर होने का मामला सामने आ गया।

पहला हस्ताक्षर
ये हस्ताक्षर उस पहले पत्र में हैं जो 10 जुलाई 2006 को जारी किया गया। इसमें तत्कालीन परिवहन आयुक्त श्री त्रिपाठी के हस्ताक्षर हैं। हस्ताक्षर के नीचे पदनाम लिखा है परिवहन आयुक्त, मध्यप्रदेश 'कैम्प ऑफिस, भोपाल'। इस पत्र में प्रदेशभर के कई कर्मचारियों के तबादलों संबंधी आदेश हैं। साथ ही लिखा है कि सभी स्थानांतरित कर्मचारी अपनी नवीन पदस्थापना पर एक सप्ताह के अंदर अनिवार्य रूप से पदभार ग्रहण करें।

दूसरा हस्ताक्षर
ये पत्र 30 सितंबर 2006 को कार्यालय परिवहन आयुक्त ग्वालियर द्वारा जारी किया गया। इसमें परिवहन आयुक्त के जो हस्ताक्षर हैं वो पहले पत्र से एकदम अलग हैं। इसमें आदेश दिया गया है कि अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय धार में पदस्थ चौकीदार संदीप खरनाल पुत्र श्री महेन्द्र खरनाल को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय इंदौर की कम्प्यूटर शाखा में पदस्थ किया जाए। गौरतलब है कि श्री खरनाल तबसे इंदौर में ही पदस्थ हैं।

तब क्यों पकड़ में नहीं आई गड़बड़ी?
सन्‌ 2006 के मामले का खुलासा अब 9 साल बाद होने से कई तरह के संदेह खड़े हो रहे हैं। सवाल तो यह भी है कि तभी अलग-अलग हस्ताक्षर से तबादला आदेश जारी होने की ये गड़बड़ी पकड़ में क्यों नहीं आई? आरटीओ के सूत्र अंदेशा जताते हैं कि 'मनमाना तबादला करवाने के लिए फर्जी हस्ताक्षर से ये पत्र जारी कर लिए होंगे।' इधर पड़ताल में सामने आया कि जुलाई में भेजा गया पत्र तत्कालीन परिवहन मंत्री के विशेष सहायक, विभाग के प्रमुख सचिव, उप परिवहन आयुक्त ग्वालियर व उन तमाम जिलों के आरटीओ को भेजा गया था जहां के कर्मचारियों के तबादले का आदेश उस पत्र में था। इसी तरह दूसरे हस्ताक्षर वाला पत्र भी उप परिवहन आयुक्त, आरटीओ इंदौर व धार तथा अधीक्षक स्थापना शाखा ग्वालियर को भेजा गया। ऐसे में सवाल उठता है कि इतने जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारी भी इस गड़बड़ी को क्यों नहीं पकड़ सके?

परिवहन आयुक्त को करेंगे शिकायत
दो अलग-अलग दस्तावेजों में अलग हस्ताक्षर के मामले को लेकर अब अपीलार्थी ने परिवहन आयुक्त को शिकायत करने का निर्णय लिया है। आईनेक्स्ट से बातचीत में श्री सोनी ने बताया 'आरटीओ में तबादलों और पदस्थापना को लेकर लंबे समय से गड़बड़ियां चल रही हैं। इसके कुछ अन्य दस्तावेज भी मेरे पास बतौर सबूत हैं। मगर इस बार तो हद ही हो गई जब पूर्व परिवहन आयुक्त के दो अलग-अलग हस्ताक्षरों का मामला पकड़ में आया।' श्री सोनी के मुताबिक 'इसकी शिकायत में वर्तमान परिवहन आयुक्त को करूंगा।'

पूर्व आयुक्त ने कहा 'मैं पूछूंगा'
2006 में परिवहन आयुक्त रहे सीनियर आईपीएस एनके त्रिपाठी के दो अलग-अलग हस्ताक्षरों को लेकर आईनेक्स्ट ने उन्हीं से बात की। अब रिटायर्ड श्री त्रिपाठी पूरे मामले को सुनकर चौंके और कहा कि इस तरह मेरे फर्जी हस्ताक्षर करने वालों के मामले में मैं विभाग से जानकारी लूंगा। उन्होंने आईनेक्स्ट से प्रकरण की पूरी जानकारी भी ली तथा कहा कि 'परिवहन आयुक्त रहते मैंने हजारों आदेश पत्रों पर हस्ताक्षर किए होंगे, इसलिए अब याद नहीं कि ये मामला किस आदेश का है। मगर इस तरह की गड़बड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।'

2006 में परिवहन आयुक्त रहते हुए मैंने हजारों कार्यालयीन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए होंगे। ऐसे में यदि किसी ने मेरे फर्जी हस्ताक्षर कर कोई आदेश जारी कर दिया है तो उसकी जांच होना चाहिए। मैं इंदौर आरटीओ से इस बारे में बात करूंगा।

एनके त्रिपाठी
पूर्व परिवहन आयुक्त 'रिटायर्ड', भोपाल

आरटीओ कार्यालय में लंबे समय से पदस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी लेने के लिए मैंने सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाया था। मगर इसके तहत मिली जानकारी में संयोग से दूसरी गड़बड़ी पकड़ में आ गई। अब अलग-अलग हस्ताक्षर वाले दोनों शासकीय तबादला आदेश पत्रों को लेकर मैं परिवहन आयुक्त को शिकायत करूंगा, तथा दोषियों को दंड मिलने तक मामले को छोडूंगा नहीं।

कैलाश सोनी,
सूचना का अधिकार के तहत दस्तावेज हासिल करने वाले अपीलार्थी

श्री ईश्वर शर्मा युवा पत्रकार हैं एवं इन दिनों जागरण के टेबलॉयड आईनेक्स्ट में सेवाएं दे रहे हैं। 


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