मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीटों के लिए सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश

भोपाल। मेडिकल कॉलेजों में स्‍टेट कोटे की स्‍नातकोत्‍तर(पीजी) सीटों पर अब सिर्फ उन्‍हीं उम्‍मीदवारों को दाखिला मिलेगा, जिन्‍होंने प्रदेश के किसी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया हो। भले ही वे मध्‍यप्रदेश या बाहर के निवासी हों। सुप्रीम कोर्ट ने 1994 में प्रदीप जैन नामक याचिकाकर्ता के केस में दिए गए फैसले को आधार बनाते हुए यह निर्णय सुरक्षित रखा है। अंतिम निर्णय करीब दस दिन में आएगा।

प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों व निजी मेडिकल कॉलेजों में स्टेट कोटे की सीटों पर अभी तक सिर्फ उन्हीं उम्मीदवारों को प्रवेश दिया जाता था, जो मप्र के मूल निवासी हैं या फिर जिन्होंने प्रदेश के किसी भी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री की हो। जबलपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाली इस्सिता दुआ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि दिल्ली, बिहार, यूपी व उत्तरांचल समेत कई राज्यों में स्टेट कोटे की सीटों पर सिर्फ उन्हीं उम्मीदवारों को प्रवेश मिलता है जिन्होंने उस राज्य से एमबीबीएस किया है। हां, ऑल इंडिया कोटे की तय सीटों पर किसी राज्य के उम्मीदवार को प्रवेश मिल सकता है।

एक सीट में दाखिला ले बाकी छोड़ देते हैं

याचिका में कहा गया था कि मप्र के मूल निवासी उम्मीदवार प्रदेश के साथ ही उन राज्यों में भी प्रवेश लेने के हकदार होते हैं, जहां से एमबीबीएस किया है। वे काउंसिलिंग में मध्यप्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों की सीटें उठा लेते हैं, जहां से एमबीबीएस किया है। साथ ही आल इंडिया कोटे की सीटें भी आवंटित करा लेते हैं। बाद में एक सीट पर दाखिला लेकर बाकी सीटें छोड़ देते हैं।

ऐसे में मप्र से एमबीबीएस करने वाले उम्मीदवारों को नुकसान हो रहा था। स्टेट कोटे के लिए मूल निवासी उम्मीदवारों व यहां से एमबीबीएस करने वालों की संयुक्त मेरिट लिस्ट बनती थी। इससे यहां से एमबीबीएस करने वाले विद्यार्थियों को नुकसान हो रहा था। मूल निवासी की शर्त हटने से यहां से एमबीबीएस करने वाले उम्मीदवार मेरिट में ऊपर आ जाएंगे।

काउंसलिंग कार्यक्रम फिर से तय होगा

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से पीजी काउंसलिंग का तय कार्यक्रम बदल जाएगा। संचालक चिकित्‍सा शिक्षा डॉ. एसएस कुशवाह ने बताया कि अब नए सिरे से मेरिट लिस्‍ट बनाना होगी। उन्‍होंने बताया कि काउंसलिंग की तिथि सुप्रीम कोर्ट ने तय की थी, इसलिए इसे आगे बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी गई है।


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