कॉलेज प्रोफेसर्स की रिटायरमेंट एज 65 नहीं 62

भोपाल। प्रदेश के कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में पदस्थ प्रोफेसर व प्रिंसिपल अब 62 साल उम्र पूरी होने पर रिटायर हो जाएंगे। अभी तक रिटायरमेंट की उम्र 65 साल थी। उच्च शिक्षा विभाग ने प्रोफेसरों की सेवानिवृत्ति आयु 65 से घटाकर 62 करने का प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए कैबिनेट में भेज दिया है।

संभवत: अगली कैबिनेट की बैठक में इस पर निर्णय हो जाएगा। फैसले के बाद प्रदेश के करीब 10 फीसदी ऐसे प्रोफेसर रिटायर कर दिए जाएंगे, जिनकी उम्र 32 वर्ष हो चुकी है।

उच्च शिक्षा विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यूजीसी ने हाल ही में प्रोफेसरों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा 65 से घटाकर 62 साल कर दी है। चूंकि प्रोफेसरों को यूजीसी के नियमों के मुताबिक ही वेतनमान दिया जाता है, इसलिए राज्य सरकार भी सेवानिवृत्ति की आयु घटाने का निर्णय ले रही है।

हालांकि राज्य सरकार ने वर्ष 2010 में प्रोफेसरों  की सेवानिवृत्ति आयु 62 से बढ़ाकर 65 साल की थी, जबकि यूजीसी ने 24 मार्च, 1999 में इसे लागू कर दिया था। चार साल बाद ही सरकार इस आदेश को वापस करने जा रही है।

दो साल से लंबित है प्रस्ताव: मंत्रालय में स्वीकृत पदों के बगैर उच्च शिक्षा विभाग के प्रोफेसर पदस्थ थे। जिन्हें हटाने के संबंध में विभाग द्वारा वर्तमान में नियमित स्वीकृत पदों के अतिरिक्त विभागीय कार्य की अधिकता के कारण उप सचिव, अवर सचिव और अनुभाग अधिकारी के एक-एक नए पद स्वीकृत करने का प्रस्ताव अगस्त 2013 में कार्मिक विभाग को भेजा था। लेकिन अभी तक यह फाइल कार्मिक विभाग में लंबित है।

इतना ही नहीं, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा बार-बार अनुरोध करने के बाद भी न तो पद स्वीकृत किए गए और न ही कैबिनेट की स्वीकृति की प्रत्याशा में अधिकारी पदस्थ किए गए। जबकि मंत्रालय में लंबे समय से पदस्थ तीन ओएसडी और पदेन उप सचिवों को यहां से हटा दिया गया है।

यह है प्रस्ताव : उच्च शिक्षा विभाग के प्रस्तावित मसौदे में कहा गया है कि 20 साल तक नियमित रूप से अध्यापन कार्य करने वाले प्रोफेसरों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा 65 साल थी। जिसे घटाकर 62 साल किया जा रहा है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि यह सीमा सेवानिवृत्ति आयु संबंधी आदेश जारी होने की तारीख से लागू मानी जाएगी।

यानी इसके आदेश जारी होने के बाद जिन प्रोफेसरों की उम्र 62 साल से ज्यादा हो गई है, उन्हें सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। ऐसे प्रोफेसरों ने यदि 33 साल की सेवा पूरी कर ली है तो उन्हें पेंशन के सभी लाभ दिए जाएंगे, लेकिन सेवाकाल 33 साल से कम है तो सर्विस के हिसाब से पेंशन का निर्धारण होगा।

नए लोगों को रोजगार मिलेगा
यूजीसी के निर्देश के बाद आयुसीमा कम करने का प्रस्ताव बनाया गया है। इसे कैबिनेट में रखा जा रहा है। इससे प्रदेश के नए लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
-उमा शंकर गुप्ता, उच्च शिक्षा मंत्री

अतिथि विद्वानों को आयु सीमा में 5 साल की छूट
शासकीय कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर, खेल अधिकारी या ग्रंथपाल के रिक्तपद अतिथि विद्वान के रूप में भरे जाएंगे। इसके लिए आवेदकों को आयु सीमा में पांच साल की छूट दी जाएगी। राज्य शासन के आदेश के अनुसार कार्य अनुभव के आधार पर प्रति सत्र अधिकतम चार वरीयता अंक दिए जाएंगे और इस पर आयु सीमा में एक वर्ष की छूट दी जाएगी। यह छूट अधिकतम पांच साल तक मिलेगी और वरीयता अंकों की अधिकतम सीमा 20 तय की गई है।

337 नए पद स्वीकृत होंगे
विभिन्न कॉलेजों में प्रोफेसर (10 हजार रुपए ग्रेड) और असिस्टेंट प्रोफेसरों के 337 नए पद स्वीकृत करने का प्रस्ताव पर भी कैबिनेट में विचार होगा। ये पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे। वर्तमान में करीब 2500 पद रिक्त हैं। बावजूद इसके कई प्रोफेसर पंचायत, नगरीय प्रशासन सहित अन्य विभागों में प्रतिनियुक्ति पर हैं। हालांकि कुछ दिन पहले ही 5 दर्जन से अधिक प्रोफेसरों की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर मूल विभाग में लाया गया है।


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