भोपाल। राजधानी के प्रख्यात आरटीआई एक्टिविस्ट श्री अजय दुबे ने मध्यप्रदेश के जनसंपर्क विभाग पर सवाल उठाएं हैं। प्रसंग वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश दुबे की इलाज के अभाव में हुई असमय मृत्यु का है। श्री दुबे का कहना है कि फर्जी सत्कार में करोड़ों लुटाने वाले जनसंपर्क ने असली पत्रकार राजेश दुबे के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किया।
बिना किसी संपादन के हम सीधे प्रकाशित करने जा रहे हैं वो सबकुछ जो अजय दुबे ने अपनी एफबी वॉल पर पोस्ट किया, पढ़िए:-
निष्ठूर और अमानवीय शिवराज सरकार के जनसम्पर्क विभाग कि नाक के नीचे एक स्वाभिमानी पत्रकार राजेश दुबे इलाज के अभाव मैं असमय काल का ग्रास बन गया। इस विभाग के राजशाही और संदेहास्पद लाखो के खर्चे पर कुछ समय पहले कैग ने गम्भीर आपत्ति उठायी थी क्योकि यहाँ 'सत्कार' इत्यादि के नाम पर लाखो रुपए जनसम्पर्क विभाग ने खर्च किये। इसी तरह जनसम्पर्क विभाग ने वर्ष 2012 मैं 25 लाख माखनलाल विश्वविद्यालय को आंतरिक साज सज्जा के नाम पर दिए और उसका कहा हुआ और कैसे हुआ का हिसाब आज तक माखनलाल विश्वविद्यालय जनसम्पर्क विभाग को नहीं दे पाया। काश इन ऐयाशी और फिजूलखर्ची कि जगह इस स्वाभिमानी जीव कि रक्षा पर खर्च होता तो अच्छा रहता। इस विभाग को सरकारे केवल अपने एजेंडे के तहत उपयोग करती है।