भोपाल। शिवराज सिंह चौहान भले ही मध्यप्रदेश की पहचान हों, अभिमान हों परंतु अपनी ही पार्टी में वो बड़े लाचार हैं। लोकसभा चुनावों में उनकी कभी चलती है तो कभी नहीं भी चलती। यहां एक ओर भाजपा सक्रिय है जो शिवराज से इतर है आप इसे बीजेपी एम भी कह सकते हैं।
बीते रोज बीजेपी एम और बीजेपी एस के बीच पोस्टर जंग देखने को मिली। मध्यप्रदेश में भाजपा का दूसरा नाम बन चुके शिवराज सिंह चौहान अचानक कुछ पोस्टरों से गायब थे। पोस्टर में सिर्फ और सिर्फ नरेन्द्र मोदी थे। ये पोस्टर अचानक ही शहर में दिखाई दिए। मजेदार बात तो यह है कि खुद शिवराज और उनके सिपहसालारों तक को इसके बारे में दूसरों से ही जनकारी मिली। पता चला कि नरेन्द्र मोदी के लिए काम करने वाले नेताओं ने एक मीडिया ऐजेंसी के माध्यम से ये होर्डिंग्स लगवाए हैं।
इधर भोपाल से लालकृष्ण आडवाणी को उतारने की मांग जब जोर पकड़ गई तो बीजेपी एस ने इसे पुख्ता मान लिया और सूची घोषित होने से पहले ही भोपाल की सड़कों पर लालकृष्ण आडवाणी के पोस्टर चिपक गए। बाद में पता चला लालकृष्ण आडवाणी का नाम तो उनकी गांधीनगर सीट से ही घोषित किया गया है। आनन फानन में पोस्टर उतार दिए गए।
कुल मिलाकर कुछ सीटों पर तो स्थिति यह है कि शिवराज सिंह चौहान तक को अपडेट नहीं मिल रहे हैं। निर्णय में शामिल करने की बात तो दूर की कोड़ी हो गई है। कुछ भाईलोग तो विदिशा से साधना सिंह की उम्मीदवारी में भी टांग अड़ा रहे हैं और आश्चर्यजनक तो यह है कि टांग फंसी भी हुई है।
आप कह सकते हैं कि एक कारण यह भी है कि शिवराज सिंह चौहान बजाए लोकसभा चुनाव की राजनीति में दिखाई देने के, किसानों की चिंता करते नजर आ रहे हैं।