भोपाल। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र की ओर से जारी एक विज्ञापन सियासी बवाल का कारण बन सकता है। गृह मंत्रालय ने सुरक्षा सहायक के 532 पदों के लिए जारी किए गए विज्ञापन में गुजरात दंगा पीडि़तों को विशेष छूट देते हुए उम्र में 5 साल की छूट दी है।
सुरक्षा सहायक के पदों के लिए परीक्षा जून में होनी है। जबकि आवेदन की अंतिम तिथि 17 फरवरी थी। इसमें आवेदनकर्ता की अधिकतम आयु 27 वर्ष रखी गई है। लेकिन प्रावधान किया गया है कि जो युवा गुजरात दंगा पीडि़त है, उसे उम्र सीमा में 5 वर्ष की छूट दी जाएगी।
यह पहला मौका है जब केंद्र या राज्य की किसी सरकार ने दंगा पीडि़तों के लिए नौकरी में इस तरह की छूट का प्रावधान किया है। इससे पहले न तो उसने सिख दंगों के पीडि़तों के लिए ऐसा कदम उठाया और न सुनामी, भोपाल गैस कांड या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के पीडि़तों के लिए।
दंगों पीड़ितों के लिए योजना तो बनी, पर लाभ नहीं मिला
सुप्रीम कोर्ट की वकील प्रभाशय कौर का कहना है कि दिल्ली में हुए 1984 में हुए सिख दंगों के ज्यादातर पीडि़तों को सरकारी नौकरी में आरक्षण का लाभ नहीं मिला। दंगों के तुरंत बाद आरक्षण की योजना बनी लेकिन ज्यादातर घरों में वयस्क पुरुष थे ही नहीं और महिलाएं कम शिक्षित थीं। इसके बाद 2006 में प्रधानमंत्री दंगा पीडि़त आश्रित पेंशन योजना बनीं लेकिन इस पर भी अमल नहीं हुआ।