सुनील सिंह बघेल/इन्दौर। सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार की याचिका पर फैसला सुनाते हुए आगामी सत्र से पीपुल्स मेडिकल कॉलेज भोपाल की मैनेजमेंट कोटे की 107 सीटें राज्य कोटे से भरने का आदेश दिया है।
यही नहीं एडमिशन में अनियमितता बरतने के लिए पीपुल्स यूनिवर्सिटी के कुलपति सुरेश विजयवर्गीय व अन्य पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। पीपुल्स मेडिकल कॉलेज ने 2011-2012 में खुद के यूनिवर्सिटी बन जाने का हवाला देकर 95 छात्रों को नियम विरुद्ध मैनेजमेंट कोटे से प्रवेश दे दिया था। इस तरह कॉलेज में 150 छात्रों की क्षमता के विरुद्ध 245 एडमिशन हो गए थे। इसके चलते राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत अगले वर्ष पीपुल्स मेडिकल कॉलेज की मैनेजमेंट कोटे की ((64 सीटें)) और एनआरआई कोटे की ((23 सीटें)) सभी 87 सीटें राज्य कोटे से भरी जाएंगी, बाकी 20 सीटों पर एडमिशन 2015-16 में होगा।
गुरुवार को दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पीपुल्स प्रबंधन को फटकार लगाते हुए उस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया जिसमें पीपुल्स प्रबंधन ने अदालत से यह गुजारिश की थी कि मैनेजमेंट का पूरा कोटा एक ही साल में नहीं लिया जाए। इससे कॉलेज संचालन में बाधा होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस स्थिति के लिए वह स्वयं जिम्मेदार है। उन्होंने सब कुछ जानते बूझते नियम और मेरिट को ताक पर रखा।
पैसों की खातिर न सिर्फ इस कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है, बल्कि 150 छात्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर वाले कॉलेज में 245 को प्रवेश देकर पीएमटी से आए उन छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया है, जो प्रवेश के असली हकदार थे। कोर्ट ने कहा कि यह पुराना घिसा-पिटा तरीका है कि पहले जानबूझकर गलती करो और बाद में माफी मांगकर बच निकलो। कोर्ट ने कहा- हम चाहते हैं कि यह फैसला दूसरों के लिए भी एक सबक बने। केस के ओआईसी रहे डॉ. एलके माथुर कहते हैं कि हमने सबूतों के साथ मजबूती से अपना पक्ष रखा और अदालत ने न सिर्फ हमें 107 सीटों पर प्रवेश का अधिकार दिया बल्कि पीपुल्स यूनिवर्सिटी के कुलपति सुरेश विजयवर्गीय व अन्य को दो माह में 50 लाख का जुर्माना राज्य सरकार को देन का आदेश दिया है।
मामला 2011 में मैनेजमेंट कोटे से ज्यादा भरने का
सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में 15 प्रतिशत एनआरआई कोटे की सीटों को छोड़कर निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 प्रतिशत सीटें डीमेट से और बाकी 50 प्रतिशत पीएमटी से भरने का आदेश दिया था। इसके अनुसार 2011-12 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और एमसीआई के नियमों के अनुसार पीपुल्स यूनिवर्सिटी प्रबंधन को केवल 43 सीटें मैनेजमेंट कोटे से भरने की पात्रता थी लेकिन खुद के यूनिवर्सिटी बन जाने का हवाला देकर पीपुल्स कॉलेज प्रबंधन ने सभी 150 सीटें मैनेजमेंट कोटे से भर ली। बाद में हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही राज्य कोटे के 95 छात्रों को प्रवेश मिल सका था। तब से ही यहां 150 के बजाय 245 छात्र पढ़ रहे हैं।
यह देश में अपनी तरह का पहला फैसला है जब किसी राज्य सरकार को इतनी बड़ी सफलता मिली हो। इससे सरकार का हक छीनने के आदी बन चुके उन दूसरे कॉलेज संचालकों को भी सबक मिलेगा जो पैसों के लिए नियमों और मेरिट को ताक पर रख देते हैं।
अजय तिर्की
प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा
यह एक लैंडमार्क जजमेंट है। यह पहला मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में नियम विरुद्ध प्रवेश देने वालों को इतनी कड़ी सजा दी है।
विभा दत्ता माखीजा
सुप्रीम कोर्ट में मप्र सरकार की वकील