भोपाल। मध्यप्रदेश में मासूम लड़कियों की खरीदफरोख्त के धंधे में जयपुर के एक डॉक्टर का नाम प्रकाश में आया है। उसने 11 हजार रुपए में एक नाबालिग लड़की खरीदी और फिर उससे बंधुआ मजदूरी करवाई। डॉक्टर उसे किसी और के हाथों बेचने वाला ही था कि मासूम वहां से भाग निकली।
बेटी के भागने की सूचना मिली तो उसे ढूंढ़ने के लिए पिता को अपना खेत गिरवी रखना पड़ा। जयपुर की एक सामाजिक संस्था के हाथ लगी बालिका अंतत: अपने घर पहुंच गई, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर आदिवासी इलाकों में पेट की खातिर बच्चे बेचने के काले सच को उजागर कर दिया।
मध्यप्रदेश के भिलाईखेड़ा निवासी कैलाश रेमलिया के अनुसार उसकी बेटी बुधिया (11) को गुड़ी के एक व्यक्ति ने करीब एक माह पूर्व अपने एक रिश्तेदार के घर जयपुर में काम पर लगाने की बात कही। मैंने उसे भेज दिया।
कुछ ही दिन बाद जयपुर निवासी डॉक्टर के घर से सूचना आई कि तुम्हारी बेटी कहीं चली गई है। कैलाश और पत्नी जयपुर पहुंचे। जयपुर पहुंचने के बाद कैलाश को लेकर डॉक्टर रिपोर्ट लिखाने थाने लेकर गया।
उसने पहले कैलाश को बहाना बनाने के लिए कहा कि बेटी का इलाज कराने लाए थे। थाने पहुंचने के बाद जब पुलिस ने सवाल जवाब शुरू किए तो डॉक्टर कैलाश को वहां से घर ले गए। वहां स्टांप पेपर में हस्ताक्षर लेने लगे तो कैलाश ने मना कर दिया और खंडवा आ गया।
पुलिस को मिली बालिका
बुधिया ने परिजनों को बताया कि डॉक्टर ने उसके साथ मारपीट की। उसका कहना है कि डॉक्टर उसे किसी और को बेच देते, इसलिए वह भाग आई। उधर, चाइल्ड हेल्प लाइन के रमेश गौड़ का कहना है कि बालिका अशोक नगर थाना पुलिस को मिली थी। पुलिस ने चाइल्ड हेल्प लाइन को सूचना दी। बालिका उस समय वह घर नहीं बता पाई जहां काम करती थी। इसके बाद उसे खण्डवा ले जाया गया था।
इसलिए बेची जा रहीं हैं गांव की बेटियां
कैलाश ने बताया पिछले एक साल से उसे कोई काम नहीं मिला। एक माह पहले गांव में हुए सड़क निर्माण में उसे आठ दिन की मजदूरी मिली थी। तीन एकड़ खेत से केवल बारिश की फसल ले पाता हूं। साल में कई दिन फाके की स्थिति में गुजरते हैं।
जयपुर में दर्ज होगा केस
घटना हमारे थाना क्षेत्र की नहीं है। कैलाश खुद उसे छोड़ने जयपुर गया था इसलिए केस जयपुर में ही दर्ज होगा। मामला उच्चाधिकारियों के लिए संज्ञान में दे दिया है।
आर.एस. बड़ोले टीआई, पिपलौद