सीएम की सहायता का इंतजार करते करते मर गई कंचन

विदिशा। वो गरीब किसान की बेटी थी, विदिशा की रहने वाली है जिसे सीएम आदर्श जिला बनाने की घोषणा का चुके हैं। वो टीवी जैसी गंभीर बीमारी से लड़ रही थी। 2 साल पहले उसने सीएम से सहायता की गुहार लगाई थी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली और अंतत: उसकी असमय ही मौत हो गई।

आक्रोशित विदिशा के नागरिकों ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है। श्री नीर सिंधू ने भोपाल समाचार को भेजे अपने ईमेल में लिखा है कि:—

अवैध खनन,भ्रष्टाचार और घूंसखोरी के लिए बदनाम होते विदिशा के नागरिक ज़रा-ज़रा सी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. बड़बोले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथों में दो साल पहले आर्थिक सहायता के लिए आवेदन देनेवाली उनकी एक भांजी 16 वर्षीया कंचन श्रीवास्तव बिना सहायता मिले ही चल बसी, लेकिन किसी ने उसकी सुध नहीं ली.

विदिशा के ज़िला अस्पताल में उसका टीबी का चलता रहा. समाज के लोगों आपस में चन्दा करके उसका नागपुर में चेकअप कराया तो पता चला कि मासूम कंचन को कभी टीबी थी ही नहीं, फिर टीबी का इलाज क्यों किया गया ? क्या ज़िला अस्प्ताल के टीबी वार्ड में आंकड़े दर्ज करने के लिए, या फिर डाक्टरों ने अपनी जेबें भरने के लिए कंचन का गलत इलाज किया, सच्चाई जो भी रही हो शिवराज सिंह को समस्त मामले जांच कराके दोषी डाक्टरों पर कार्यवाही करते हुए उन्हें नौकरी से बर्खास्त करना चाहिए।

साथ ही असमय ही काल के गाल में समाई मासूम कंचन के पालकों को कम से कम दस लाख कि आर्थिक सहायता भी दिलाना चाहिए, और यह राशि ज़िला अस्प्ताल के टीबी वार्ड में कंचन का इलाज करनेवाले डाक्टरों से वसूल करना चाहिए। तभी शिवराज पर प्रदेश की जनता का भरोसा बरक़रार रह पायेगा।

प्रदेश सरकार के मुखिया का ज़िला इंतज़ार कर रहा है कंचन के परिवार को इन्साफ मिलने का, सहायता मिलने का. मुखिया जी चुनाव से पहले आपने अपने विदिशा विधान सभा क्षेत्र में ऐरे -गैरे लोगों को तो खूब आर्थिक सहायता बंटवाई थी, अगर आपमें मानवीय संवेदनाये हैं तो अपनी स्वर्गवासी भांजी के परिवार कि सुध लेकर सच्चाई पता कराएं, उसका परिवार शेरपुरा,विदिशा में आपके घर के पास रहता है।  उसके पिता बीरेंद्र श्रीवास्तव किसान हैं.

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