भोपाल। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष मानक अग्रवाल ने आज बयान जारी कर मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चौहान से आग्रह किया है कि एसटीएफ की प्रारंभिक जांच में जो तथ्य उजागर हो रहे हैं, उनके अनुसार जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. अजय शंकर मेहता भी पीएमटी घोटाले में फंसते दिखाई दे रहे हैं।
जाली अंकसूचियों के साथ-साथ फर्जी ओएमआर शीटों की छपाई के बड़े फर्जीवाड़े में शक की सुई तेजी से डॉ. मेहता की तरफ भी घूमती नजर आ रही है और ऐसा लगता है-एसटीएफ की जांच में और यदि सीबीआई की जांच आदेशित हो गई तो संभावना है कि उसमें वे व्यापमं महाघोटाले के प्रमुख आरोपियों की सूची में शामिल हो सकते हैं। ऐसी दशा में मुख्य मंत्री को चाहिए कि वे डॉ. अजय शंकर मेहता के साथ अपने रिश्तों का अविलंब खुलासा करें, जिससे कि डॉ. मेहता और मुख्य मंत्री के रिश्ते को लेकर जो कोहरा छाया हुआ है, वह छंट सके।
श्री अग्रवाल ने कहा है कि राज्य सरकार के उपक्रम जन अभियान परिषद द्वारा भी भाजपाराज में हजारों की संख्या में महत्वपूर्ण मैदानी कर्मचारियों की नियुक्तियां की गई हैं। इन नियुक्तियों पर भी समय-समय पर उंगलियां उठती रही हैं। सर्वविदित है कि डॉ. अजय शंकर मेहता मुख्य मंत्री के बहुत करीबी लोगों में से हैं। वे प्रायः हर दिन मुख्य मंत्री निवास पर देखे जाते हैं। ऐसी दशा में यदि देश के सबसे बड़े व्यापमं घोटाले में उनके संलिप्त होने के संकेत मिल रहे हैं, तो मुख्य मंत्री और डॉ. मेहता के बीच के रिश्तों का सच प्रदेश की जनता के सामने आना ही चाहिए।
आपने कहा है कि कल रविवार को भोपाल के सात नं. बस स्टाप पर जिस एटीएस एडवांस टेक्नालॉजी नामक प्रिंटिंग प्रेस पर एसटीएफ ने छापा डाला था और जिस पर जाली अंकसूचियां और फर्जी ओएमआर शीटें छापने का गंभीर आरोप लगा है और उसी सिलसिले में उसके मैनेजर को भी गिरफ्तार किया गया है, वह प्रेस डॉ. अजय शंकर मेहता और एक भाजपा नेता का बताया जा रहा है। ऐसी संभावना है कि इस संबंध में एसटीएफ डॉ. मेहता से भी सीधी पूछताछ करने वाली है।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आगे कहा है कि इस मामले में मुख्य मंत्री द्वारा खुलासे की जरूरत इसलिए भी है कि पीएमटी घोटाले के एक आरोपी नितिन महेन्द्रा द्वारा फर्जी अंकसूचियों और ओएमआर शीटों की छपाई का कार्य कराया जाता था। महिन्द्रा आये दिन सात नं. बस स्टाप स्थित इस प्रिंटिंग प्रेस में आया करता था। आपने कहा है कि हाल ही में संस्कृत बोर्ड का जो फर्जीवाड़ा सामने आया है, उसके तार भी डॉ. मेहता के इस प्रेस से जुड़ते नजर आ रहे हैं। संस्कृत बोर्ड ने हैद्राबाद की जिस हाईटैक प्रिंटिग कंपनी को अंकसूची छापने का काम दिया था, उस कंपनी ने वह काम भोपाल की इसी एटीएस हाईटैक टेक्नालॉजी प्रिंटिंग प्रेस से कराया है