संविदा कर्मचारी, कर्मचारी नहीं पढ़ा लिखा मजदूर है

अमित कुमार। जी हाँ हमारे माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी अथवा भाजपा सरकार के राज में अब संविदा कर्मचारियो को पढ़ालिखा संविदा मजदूर कहना ही उचित होगा क्योकि म०प्र० के सभी विभागो में साथ साथ काम कर रहे नियमित और संविदा कर्मचारियो  की तुलना करेगे तो पायेगे कि नियमित कर्मचारी केवल आदेश देते है वास्तविक कार्य संविदा कर्मचारी ही करता है।

नियमित कर्मचारी बीबी बच्चों के साथ छुट्टिया मानते है और संविदा कर्मचारी अवकाश के दिन भी रात में 10 बजे तक कार्य करते है , नियमित कर्मचारी की तुलना संविदा कर्मचारी को आधी वेतन लेकिन काम दोगुना, नियमित को वर्ष में कई तरह के अवकाश, महगाई भत्ता, अनुकम्पा नियुक्ति, गलती होने पर कुछ समय के लिए मात्र निलम्वन और निलम्बन के दौरान भी आधी वेतन, अपना पक्ष रखने का अवसर, लेकिन संविदा को कोई अवकाश नहीं, कोई महगाई भत्ता नहीं, कोई अनुकम्पा नियुक्ति नहीं , गलती होने पर हमेशा के लिए सीधे नौकरी से बर्खास्त ,अपना पक्ष रखने के लिए कोई अवसर तक नहीं।

संविदा शिक्षक के लिए 3 वर्ष कि परवीक्षा अवधि उसके उपरान्त संविलियन लेकिन संविदा कर्मचारी के लिए केवल 1 वर्ष कि संविदा नियुक्ति उसके उपरांत, वर्ष भर जी जान से कार्य करने पर भी वरिष्ठ नियमित अधिकारियो को कुछ देकर खुश करना होता है तब जाकर पुनः 1 वर्ष हेतु नियुक्ति अवधि बढ़ाई जाती है और अगर खुश नहीं किया तो सेवा समाप्त।

अब ऐसे में संविदा कर्मचारियो को कर्मचारी न कहकर पढ़ा लिखा संविदा मजदूर कहा जाये तो गलत न होगा लेकिन भाजपा सरकार इतना सब देखते हुए भी अपनी आखों पर पट्टी बांधे हुए है जिसका जीता जगता सबूत संविदा कर्मचारियो की  सेवा अवधि 15 से 18 वर्ष होने के उपरान्त भी आज तक उनके नियमितीकरण हेतु सरकार द्वारा कोई उचित कदम न उठाना जिससे आज संविदा कर्मचारियो का ये हाल हो गया है। 

जब सभी संविदा कर्मचारी बंद कर देंगे तब क्या होगा

प्रदेश के समस्त संविदा कर्मचारियो के प्रति म०प्र० सरकार का सौतेला व्यवहार अभी भी जारी है जिसे देख अब यही प्रतीत होने लगा है कि वह दिन अब ज्यादा दूर नहीं जिस दिन प्रदेश के सभी विभागो में पदस्थ लगभग २ से ३ लाख  संविदा कर्मचारी अपना अपना कार्यालीन कार्य बंद कर सड़को पर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने उतर आयेंगे। (क्योकि सब्र का बाँध अब टूटने कि कगार पर है )।  शायद उस दिन म०प्र० सरकार को संविदा कर्मचारियों का महत्व अथवा उनकी अहमियत समझ आएगी जब पूरे के पूरे म०प्र० में समस्त शासकीय कार्य 90% तक प्रभावित अथवा रुक जायेगे और  समस्त कर्मचारी भाजपा  सरकार और उनकी इस नीति  के खिलाफ हो जायेगे।

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