भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे को एक महीने से सरकारी बंगला आवंटित नहीं किया जा रहा है परंतु जैसे ही भिंड की एक जनसभा में कटारे ने मध्यप्रदेश में नौकरी घोटाले का जिक्र किया, उन्हें बिना आवेदन के ही बंगला आवंटित कर दिया गया।
मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार किस चरम पर है और विपक्ष इसका कैसे लाभ उठा रहा है, यह प्रकरण इसका जीता जागता नमूना है।
सरकार कटारे उन्हें 74 बंगले में (बी-5) सरकारी आवास आवंटित कर दिया है, जबकि इस बंगले के लिए उन्होंने लिखित में आवेदन तक नहीं दिया। राजस्व मंत्री रामपाल सिंह इस बंगले को चाह रहे थे और इसके लिए उन्होंने लिखित आवेदन भी दिया था, लेकिन सरकार ने अपने मंत्री के बजाय नेता प्रतिपक्ष को यह बंगला आवंटित कर दिया। इतना ही नहीं, शनिवार को मंत्रालय से एक उप सचिव आदेश की प्रति देने कटारे के भारती निकेतन स्थित निजी आवास गए।
मंत्रालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गृह विभाग ने बी-5 बंगला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के न्यायिक सदस्य को आवंटित किया था, लेकिन राजस्व मंत्री रामपाल सिंह के आग्रह पर वे इस बंगले के बजाय चार इमली में सी-15 बंगला लेने के लिए तैयार हो गए थे। संपदा संचालनालय के सक्षम प्राधिकारी ने दोनों की लिखित सहमति मिलने के बाद बी-5 बंगला रामपाल सिंह को आवंटित करने की सहमति देकर फाइल गृह विभाग को भेज दी थी।
इस बीच कटारे ने यह बंगला आवंटित करने के लिए सीएम सचिवालय को मौखिक इच्छा जताई। मगर उन्हें यह बंगला अलॉट नहीं किया गया था। इससे नाराज कटारे ने सरकारी वाहन और विधानसभा के कर्मचारियों को लौटा दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि उनके द्वारा व्यापमं घोटाले को मुद्दा बनाने के कारण राजनीतिक द्वेषता के कारण उनके साथ प्रशासनिक असहयोग किया जा रहा है।
जब व्यापमं घोटाले वाले आरोप के बाद भी कोई असर नही पड़ा तो कटारे ने भिंड में 40 हजार फर्जी कर्मचारियों का खुलासा करने की धमकी दी। बस इस धमकी के बाद आनन फानन उनके तमाम रुके हुए काम होते चले गए। उन्हें वो बंगला भी दे दिया गया जिसकी फाइल रामपाल सिंह के लिए चल रही थी।
अब इस सब का क्या अर्थ निकाला जाए।