इस साल फिर बढ़ जाएगी प्राईवेट स्कूलों की फीस

भोपाल। मध्यप्रदेश में सबसे मंहगी स्कूलिंग भोपाल में चल रही है। बावजूद इसके एक बार फिर 25 प्रतिशत तक फीस बढ़ाने की तैयारियां प्राईवेट स्कूल संचालकों ने कर लीं हैं।

वहीं, किसी एक विशेष दुकान पर उपलब्ध यूनिफॉर्म व सिलेबस खरीदने की मजबूरी भी अभिभावकों की जेब ढीली करेगी, हालांकि प्रशासन ने 20 फरवरी तक स्कूलों को नोटिस बोर्ड पर सिलेबस की सूची लिखे जाने के लिए समय दिया है, जिससे किताबें सभी दुकानों पर उपलब्ध हो सकें।

गौरतलब है कि दिसंबर-जनवरी में राजधानी के सभी सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों में दाखिले पूरे हो जाते हैं। नया सत्र मार्च-अप्रैल के से शुरू कर दिया जाता है। इधर, स्कूलों द्वारा हर वर्ष फीस में 15 फीसद तक की बढ़ा दी जाती है। यह बढ़ोत्तरी फीस तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यूनिफार्म व किताबों पर भी 20 फीसद तक वृद्धि की जाती है। इस पर अंकुश रखने के लिए ढाई साल से फीस नियामक आयोग बनाने की प्रक्रिया अधर में है। ऐसे में प्राइवेट स्कूलों की फीस पर नियंत्रण नहीं हो सका है और हर साल फीस, यूनिफार्म और सिलेबस के दाम बढ़ते जा रहे हैं।

तय रहती है किताबों यूनिफॉर्म की दुकान
यूनिफार्म और किताबेंविशेष दुकान पर उपलब्ध रहते हैं, जिससे मजबूरी में अभिभावकों को मनमाने दामों पर खरीदनी पड़ती हैं। यदि अभिभावक तय दुकानों से ड्रेस

नहीं खरीदते हैं तो उन्हें ड्रेस वापस करने को बाध्य किया जाता है। इस बारे में एक स्कूल ड्रेस निर्माता ने बताया कि कपड़े के दाम, लेबर, ट्रांसपोर्टेशन चार्ज बढ़ने से किताबों और यूनिफार्म के दाम बढ़ते हैं।

निर्देश बेअसर
किसी एक विशेष दुकान से किताबें व यूनिफॉर्म न खरीदनी पड़ें, इसके लिए प्रशासन ने नवंबर में निर्देश दिए थे कि स्कूल नोटिस बोर्ड पर सिलेबस की सूची चस्पा करें, जिससे हर दुकानदार उपलब्ध करा सके। इसके लिए 20 फरवरी की मोहलत दी गई है, पर कई स्कूलों ने नोटिस बोर्ड सिलेबस व यूनिफॉर्म का विवरण नहीं दिया है।

अभिभावक नहीं उठा पाते आवाज

यदि अभिभावक फीस वृद्धि के खिलाफ आवाज उठाते भी हैं, तो स्कूल प्रबंधन के दबाव में उन्हें पीछे हटना पड़ता है। इसको लेकर फीस नियामक आयोग के गठन की आवाज उठी थी, हालांकि अधिकारी आयोग के गठन की जानकारी होने से इंकार करते रहे हैं और शासन स्तर पर प्रक्रिया होने का हवाला देते रहे हैं। जानकारी के मुताबिक आयोग के गठन के लिए जो ड्राμट तैयार किया गया है, उसमें फीस तय करने का जिम्मा स्कूल प्रबंधन समिति और पालक शिक्षक संघ को सौंपा जाएगा। ये समितियां आपसी राय से नए शैक्षणिक सत्र की फीस तय कर सकेंगी।

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