राहुल गांधी जी, भला करना चाहते हो तो, संविदा कर्मचारियों को नियमित करो

भोपाल। मध्यप्रदेश के कांग्रेसी मानसिकता वाले संविदा कर्मचारियों ने भारत के भावी प्रधानमंत्री राहुल गांधी से अपील की है कि यदि वो सचमुच मैं नहीं हम में यकीन रखते हैं और सबका विकास करना चाहते हैं तो केन्द्रीय योजनाओं में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को नियमित कर दें।

भोपाल समाचार को भेजे एक खुले खत में पत्रलेखक ने बताया है कि वह मूलत: कांग्रेसी कार्यकर्ता है, वर्षों से कांग्रेसी विचारधारा से जुड़ा रहा है एवं वर्तमान में एक केन्द्रीय योजना में संविदा कर्मचारी है। इसलिए वह बेहतर समझता है कि केन्द्रीय योजनाओं में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की मनोस्थिति क्या है।

पत्रलेखक की भावनाओं को नए शब्दों में पिरोने के बजाए हम वह खत जैसा का तैसा प्रकाशित कर रहे हैं जो पत्रलेखक की ओर से भोपाल समाचार को editorbhopalsamachar@gmail.com पर मेल किया गया। सनद रहे कि भोपाल समाचार, मध्यप्रदेश के कर्मचारियों का प्रतिनिधि मंच है एवं अब यह देशभर के कर्मचारियों का प्रतिनिधि मंच बनता जा रहा है।

पढ़िए यह खुलाखत:—

प्रति,
माननीय श्री राहुल गांधी जी
संसद सदस्य एवं
भावी प्रधानमंत्री महोदय
भारत सरकार

विषय:-देश में राष्ट्रीय कार्यक्रमों कार्यरत संविदा कर्मचारियों को नियमित करने बिषयक्।

महोदय,
उपरोक्त बिषय में लेख है कि देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, पंचायत आदि कई विभागों केन्द्रीय बजट से चलने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में मैदानी एवं कार्यालयीन कार्याे में लाखों कर्मचारी संविदा पर कार्यरत हैं कई विभागों में कार्य एक समान होने पर भी उनको दिये जाने वाले वेतन तथा सुविधाओं आदि में काफी असमानतायें है तथा संविदा में होने का डर भी इन कर्मचारियों को हमेशा लगा रहता है तथा वरिष्ठ अधिकारियों के शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक शोषण का शिकार भी होना पड़ता है।

आप यह भी जानते हैं कि यदि इन संविदा कर्मचारियों को सेवा से पृथक कर दिया जाता है तो देश में शिक्षा, स्वास्थ्य की स्थिति बद से बदतर हो जावेगी तथा मनरेगा जैसे कार्यक्रमों में जो लोग कार्य कर रहें है उनकी स्थिति तथा जीवन भी बदतर हो जावेगा।

शिक्षा विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, महिला एवं वालविकास विभाग आदि जिलो में संविदा पर पदस्थ कर्मचारियों को शासन के नियमानुसार समस्त सुविधायें समय समय पर दी जा रही है। जैसेः- वेतन, पी.एफ., डी.ए., स्थानांतरण नीति आदि, किन्तु स्वास्थ्य विभाग में नहीं।

मनरेगा और एनआरएचएम दोनो केन्द्र से संचालित होते है दोनो योजनाओं में कर्मचारियों को दी जाने वाली सुविधाओं में विसंगतियों को समाप्त किया जाना उचित होगा।
‘‘क्योंकि यदि लोगों का रोजगार ही समाप्त हो जावेगा तो देश में असामाजिक तत्वों की भरमार हो जावेगी जिससे आम आदमी का जीवन जीना कठिन हो जावेगा।‘‘
वर्तमान में देश में चुनावी माहौल बडे ही जोर शोर से चल रहा है और आप एक निरीह, जीवन में प्रतिदिन शोषण के शिकार होते आम आदमी के रोल माॅडल तथा जीवन की आशा हैं।

ज्ञात हो कि इस समय देश में विभिन्न कार्यक्रमों में संविदा पर कार्य कर रहे लाखों युवा जो कि देश के मतदाता भी है तथा उन पर आश्रितों की संख्या कितनी होगी विचारणीय है वो जब इस तरह शोषण के शिकार हो रहें हों तो वे अपने नियमित होने की आशा में कांग्रेस पार्टी को एक पक्षीय मतों का प्रयोग कर देश के समस्त प्रांतों में बहुमत में ला सकतें है। जबकि विभिन्न प्रांतों की सरकारें अपने अपने ढंग से इनका अपने पक्ष में उपयोग कर रहीं है जिससे विसंगतियां बढ़ रहीं है और प्रांतीय सरकारों के प्रति असंतोष बढ़ रहा है। बात विचारणीय है। देश में 1991 की जनसंख्या के हिसाब से कर्मचारी निर्धारित किये गये है। जिससे कार्य की गति शिथिल होती जा रही है जहां तक इन कर्मचारियों के वेतन आदि हेतु बजट का सवाल है तो वजट तो उपलब्ध हो ही जाता है चाहे वह सांसदों/विधायकों के वेतन वृद्धि का मामला हो या संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण का मामला हो।

अतः आपसे अनुरोध है कि जब इन संविदा कर्मचारियों की देश को इतनी ही जरुरत है तो क्यों न इनको नियमितीकरण की सर्वप्रथम पहल कर तथा इसका श्रेय लेकर देश में पुनः सत्ता में आने का मौका भुनाया जावे क्यांेकि विधानसभा चुनावों के बाद देश में लोकसभा चुनाव ही आने है। और नियमितीकरण के कार्य से देश के लाखों युवा संविदा कार्यचारियों का साथ भी पार्टी को संपूर्ण बहुमत से प्राप्त कर लिया जावे।
विनम्र अनुरोध है कि आपको मेरा यह विचार देश तथा पार्टी के भविष्य हेतु उपयुक्त लगेगा।
सादर
सदैव पार्टी के हित में
एक कार्यकर्ता

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