भोपाल। महर्षि विद्या मंदिर की शिक्षिका से ज्यादती और धमकी देने के मामले में महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गिरीश वर्मा के विरुद्ध महिला थाना पुलिस ने मंगलवार को जेएमएफसी उमेश सोनी की अदालत में चालान पेश किया है।
मामले में बीस गवाहों की लिस्ट केसाथ करीब 85 पेज का चालान पेश किया है। बताया गया है कि गवाहों में पीड़िता के अलावा उसके पति, ससुर , महर्षि विद्या मंदिर भोपाल के प्रिंसिपल और महर्षि विद्या मंदिर आजमगढ़ के पूर्व प्रिंसिपल के बयान हैं। पीड़िता ने अपने बयान में कहा है कि वर्मा ने वर्ष में 1997- 1998 में उसे शिक्षिका से पदोन्नत कर संचालक नियुक्त किए जाने के बाद कोरे कागजों पर हस्ताक्षर कराए थे। 1999 में पहली बार उसके साथ बनारस में एक होटल में ज्यादती की थी।
वर्मा ने अपने डिजीटल कै मरे से मेरे नग्न फोटो उतारे थे। वह फोटो नेट पर डालने और कोरे कागजों पर धोखाधड़ी करने की बातें लिखकर धमकाता था और बार-बार ज्यादती करता रहा । यह सिलसिला 1 मार्च 2013 तक जारी रहा। पीड़िता ने 11 मार्च और 24 मार्च 2013 को महिला पुलिस थाने में शिकायत की थी। महर्षि विद्या मंदिर आजमगढ़ के पूर्व प्रिन्सिपल जगदीश नारायण पांडेय ने अपने बयान में कहा कि संस्थान में वर्मा की कृपा दृष्टि से ही नियुक्ति और पदोन्नति होती थी। वर्मा महिलाओं से अकेले में मिलते थे।
पासपोर्ट, कैमरा और कार जब्त
पुलिस ने वर्मा की आडी कार , पासपोर्ट और डिजीटल कैमरा जप्त किया था। वर्मा ने निचली अदालत में इसे वापस देने के लिए आवेदन दिया था। निचली अदालत ने वर्मा का आवेदन निरस्त कर दिया था। वर्मा ने निचली अदालत के
आदेश के विरूद्व सेशन अदालत में रिवीजन याचिका दायर की है। वर्मा ने वर्ष 1998 से 2013 के बीच कई बार पीड़िता के साथ ज्यादती की थी। थाने में पीड़िता शिकायत 24 मार्च 2013 को की थी। 27 दिसंबर को वर्मा ने महिला थाने में बयान दर्ज कराए थे। 29 दिसंबर को पुलिस ने वर्मा को भोजपुर रोड स्थित ब्रिटिश पार्क कॉलोनी स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर 30 दिसंबर को कोर्ट में पेश कर 1 जनवरी तक तीन दिन के पुलिस रिमांड पर लिया था। रिमांड अवधि समाप्त होने पर अदालत ने वर्मा को जेल भेज दिया था। अदालत से जमानत याचिका निरस्त होने के बाद 30 जनवरी को हाईकोर्ट ने वर्मा की जमानत याचिका मंजूर की थी करीब एक माह बाद वर्मा जेल से बाहर आए थे। अगली सुनवाई 5 मार्च को होगी।