भोपाल। विधानसभा चुनावों में टिकिट के बंटवारे के दौरान हुई जबदस्त पॉलिटिक्स के बाद अब कांग्रेस में दिग्विजय सिंह के सफाए की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। कटारे की ताजपोशी के बाद हाईकमान भी इस ओर झुकता दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस हाईकमान को समझ आ गया है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस में जब तक दिग्गी का दखल रहेगा तब तक प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करना बहुत मुश्किल होगा। चेहरा कांतिलाल भूरिया का हो या अजय सिंह का यदि पीछे नाम दिग्विजय सिंह का है तो जनता उसे कतई स्वीकार नहीं करेगी। किसी नेता का प्रदेश की जनता में ऐसा एतिहासिक विरोध इससे पहले शायद ही देखा गया हो।
शायद इसीलिए हाईकमान ने भी अब दिग्विजय सिंह और उनके समर्थकों को हाशिए पर डालना शुरू कर दिया है। कटारे की नियुक्ति के पीछे इसी रणनीति ने काम किया। कटारे के नाम पर दिग्विजय सिंह को छोड़कर सभी सहमत थे। कमलनाथ और सुरेश पचौरी ने भी कटारे को भरपूर समर्थन दिया। इत्तेफाक से भूरिया भी कटारे का विरोध नहीं कर पाए और अंतत: वो तीसरे विकल्प के रूप में सामने आए।
इतना ही नहीं जब बात उपाध्यक्ष की हुई तो यहां भी दिग्विजय सिंह को रोकने के लिए बाला बच्चन के नाम पर सभी सहमत हो गए। कमलनाथ ने भी दिग्विजय सिंह का साथ नहीं दिया।
कुल मिलाकर मध्यप्रदेश में आपरेशन दिग्गी का सफाया शुरू हा गया है। यह आपरेशन 70 प्रतिशत तक सफल भी हो गया है। अब केवल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी शेष रह गई है। यहां भी दिग्गी कार्ड को फैल करने की पूरी तैयारियां कर लीं गईं हैं। हाईकमान के सामने कई विकल्प पेश किए जा रहे हैं। इनमें युवा चैहरे भी हैं। टारगेट सिर्फ एक है, जो भी हो, अध्यक्ष कमलनाथ गुट से आए या पचौरी की ओर से या कहीं से भी आए लेकिन वो दिग्विजय सिंह गुट से नहीं होना चाहिए।
देखते हैं दादा दिग्गी अपनी इजजत बचाने के लिए कुछ कर पाते हैं या...।