व्यापमं घोटाले में शिवराज सिंह भी शामिल: दिग्विजय सिंह

भोपाल। मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल (व्यापम) में हुए घोटाले को लेकर कांग्रेस महासचिव एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने के लिए उसने नियम-कानून तक बदल दिए। घोटाले में संलिप्‍त होने का आरोप लगाते हुए सिंह ने मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा है।

सिंह ने बुधवार को यहां राज्य विधानसभा के प्रेस कक्ष पर बातचीत में कहा कि कांग्रेस की उनकी पूर्व सरकार ने व्यापम की परीक्षाओं के लिए नियम बनाया था कि इनमें प्रदेश से दसवीं और बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थियों और प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत उम्मीदवार ही शामिल हो सकते हैं, लेकिन भाजपा सरकार ने इस नियम को समाप्त कर दिया।

उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के बाहर के उम्मीदवार भी इन व्यावसायिक परीक्षाओं में शामिल होने लगे और विभिन्न सरकारी नौकरियों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों में बड़ी संख्या में प्रदेश के बाहर से आए विद्यार्थियों एवं उम्मीदवारों ने प्रवेश पा लिया, जिसमें बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों के नौजवान शामिल हैं।

सिंह ने कहा कि भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती खुद कह चुकीं हैं कि व्यापम घोटाला, बिहार के चारा घोटाले से भी बड़ा है। उन्होंने कहा कि उनका (दिग्विजय) का दावा है कि चूंकि इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रिश्तेदार एवं करीबी लोग संलिप्त हैं, इसलिए मध्यप्रदेश पुलिस का विशेष कार्यबल (एसटीएफ) इसकी निष्पक्ष जांच नहीं कर सकता है।

उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री चौहान में साहस है, तो वे इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे, वरना उनके (दिग्विजय) खिलाफ मानहानि का मुकदमा चलाएं।

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि व्यापम घोटाले को संचालित करने वाले गिरोह को तत्कालीन तकनीकी शिक्षामंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और उनके करीबी खनिज कारोबारी सुधीर शर्मा का संरक्षण प्राप्त था, फिर भी एसटीएफ ने दोनों को सरकार के दबाव में आकर मात्र पूछताछ के बाद छोड़ दिया, जबकि इन दोनों का नाम उसकी एफआईआर में शामिल है।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यदि एसटीएफ इस घोटाले की निष्पक्ष जांच कर रही है, तो उसे गिरफ्तार किए गए परीक्षा संचालक डॉ. पंकज त्रिवेदी के ‘कॉल डिटेल’ और उनके कम्प्यूटर से मिला ‘डॉटा’ सार्वजनिक करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि डॉ. त्रिवेदी की कॉल डिटेल से स्पष्ट होगा कि उनको मुख्यमंत्री निवास से कब और कितने फोन आए तथा कम्प्यूटर डॉटा से पता चलेगा कि तत्कालीन मंत्री शर्मा को घोटाले के कितने पैसे पहुंचाए गए। यदि इस मामले की सीबीआई से निष्पक्ष जांच हो, तो घोटाले में संलिप्तता से मुख्यमंत्री चौहान भी बच नहीं पाएंगे।

सिंह ने भाजपा सरकार की कथनी और करनी में अंतर का भी आरोप लगाते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री चौहान ने साफ घोषणा की थी कि सरकार कोई नई शराब दुकान नहीं खोलेगी, तो उसने देशी शराब दुकानों से अब विदेशी शराब बेचने का फैसला क्यों किया, इससे तो उसने प्रदेश में 250 शराब दुकानें बढ़ा ली हैं।

सिंह ने कहा, सरकार का खजाना बढ़ाने के लिए उसे यह सुझाव नौकरशाही ने दिया था, जिस पर आंख मूंदकर भरोसा कर लिया गया। (भाषा)

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