भोपाल/ग्वालियर. भोपाल कमिश्नर एसबी सिंह के रिश्तेदार उनके रसूख का इस्तेमाल कर खदानों की लीज और जमीन की खरीद-फरोख्त में लगे हुए हैं। उनके साले राम प्रताप सिंह व तथाकथित भतीजे विजय प्रताप सिंह ने उनके ग्वालियर कार्यकाल के दौरान ग्राम बिलौआ तथा लखनपुर की तीन खदानों की लीज अपनी फर्म के नाम करवाई।
इस फर्म में राम प्रताप सिंह की पत्नी गौरी सिंह तथा विजय प्रताप सिंह की पत्नी पूनम सिंह पार्टनर हैं। एसबी सिंह ने वर्ष 2011 में कमिश्नर एवं जीडीए अध्यक्ष पद पर रहते हुए अपने ससुर सोबरन सिंह तथा साले राम प्रताप सिंह के नाम पर शताब्दीपुरम योजना में प्लॉटों का आवंटन करा दिया। इन लोगों को जो प्लॉट आवंटित हुए थे, वे पूर्व में डॉ. सपना गुप्ता को मिले थे। लेकिन कमिश्नर ने एक किस्त जमा होने के बाद भी डॉ. गुप्ता का आवंटन निरस्त कर साले के नाम किया।
इसकी शिकायत डॉ. गुप्ता ने वरिष्ठ अधिकारियों से भी की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। एसबी सिंह के कार्यकाल के दौरान खनिज विभाग पट्टे के लिए आवेदन करने वालों को गुमराह करता रहा। उन्हें बताया जाता था कि जमीन उपलब्ध नहीं है।
अन्य आवेदकों को न, रिश्तेदारों को हां
आवेदन पर सुनवाई नहीं होने पर अपील संभागीय कमिश्नर कार्यालय में की जाती थी।
कमिश्नर कार्यालय में खदान का पट्टा या लीज का आवेदन आते ही आवेदकों को गुमराह करने का काम शुरू हो जाता था। डीबी स्टार को इस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत एक जानकारी हासिल हुई है। अरविंद धानुक नाम के एक आदिवासी आवेदक ने सात मार्च 2011 को ग्राम सूखापठा में सर्वे क्रमांक 10 में 4 हैक्टेयर क्षेत्र पर क्रेशर आधारित पट्टा स्वीकृति के लिए आवेदन दिया था, लेकिन आवेदक को जवाब दिया गया कि इस क्षेत्र में खनन के लिए कोई जमीन उपलब्ध ही नहीं है और इस आधार पर आवेदन निरस्त हो गया। इसी क्षेत्र में सर्वे क्रमांक 10 की एक हैक्टेयर जमीन पर 7 फरवरी 2009 को भगवान सिंह जाटव, गौरव सिंह तोमर को खनन के लिए पट्टा दिया गया। साथ ही यह भी बताया गया कि इस खदान की स्वीकृति के बाद भी ग्राम सूखापठा के सर्वे क्रमांक 10 में 10.822 हैक्टेयर जमीन खनन के लिए उपलब्ध है।
लीज के बाद शुरू हुआ खरीद-फरोख्त का धंधा
राजावत स्टोन इंडस्ट्रीज को खदान मिलने के बाद इन लोगों ने लीज को बेचने के लिए ग्राहक तलाशने शुरू किए। इस दौरान इनकी मुलाकात मनोहर लाल भल्ला से हुई, जिससे ग्राम लखनपुर की 3.400 हैक्टेयर तथा 2.320 हैक्टेयर जमीन पर मिली लीज का सौदा किया गया। श्री भल्ला से सौदा 54 लाख रुपए में तय हुआ। दोनों लोगों के बीच हुए इस एग्रीमेंट की एक कच्ची कॉपी डीबी स्टार को भी मिली है। इस कॉपी में लिखा है कि 54 लाख रुपए का भुगतान टुकड़ों में किया जाएगा। एग्रीमेंट के समय पांच लाख रुपए का चेक, 11 हजार रुपए नकद मनोहर लाल भल्ला, राजावत स्टोन इंडस्ट्रीज को देगा। लीज मनोहर लाल भल्ला के नाम हस्तांतरित होने के बाद शेष 49 लाख रुपए वह राजावत स्टोन इंडस्ट्रीज को देगा।
डीबी स्टार से बातचीत में कमिश्नर एसबी सिंह ने बताया कि मेरा कोई रिश्तेदार यदि कानूनन कुछ हासिल करता है तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं? कानून के विपरीत मेरे किसी रिश्तेदार को कोई चीज मिली है तो उसे खत्म कर दें। लेकिन ऐसा तो नहीं है कि मेरा कोई रिश्तेदार कानून के अनुसार काम नहीं कर सकता है। कानून के विपरीत मेरे रिश्तेदार ही नहीं परिवार वाले को भी कुछ मिलता है, तो उसे भी खत्म कर देना चाहिए।
कलेक्टर ने निरस्त की थीं
कुछ समय पहले कलेक्टर पी. नरहरि ने जिले में 18 खदानें इसलिए निरस्त कर दी थीं, क्योंकि लीजधारकों ने निर्धारित समय-सीमा में क्रेशर लगाकर खनन शुरू नहीं किया था। यहां बिना क्रेशर लगाए उत्खनन कर बोल्डर बेचा जा रहा था, लेकिन इन 18 खदानों में राजावत स्टोन इंडस्ट्रीज की खदानें शामिल नहीं थीं।
खदानों की लीज में गड़बड़ियां
: सिंह ने अपनों के लिए बिलौआ और लखनपुर में सरकारी जमीन पर खदानों के लिए लीज करवाई, जबकि यहां और भी आवेदक थे, लेकिन उन्हें सरकारी जमीन लीज पर नहीं दी गई।
: अपनों के लिए ऐसी जमीन भी खदानों की लीज में शामिल कर दी, जो अन्य खदानों के आने-जाने का रास्ता है।
: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर पालिक निगम, बिलौआ से एनओसी नहीं ली गई। जब लीज हो चुकी थी, इसके तीन महीने बाद बिलौआ नगर पालिका में एनओसी का आवेदन पेश किया गया।
शतादीपुरम योजना में आवंटन बदला
शतादीपुरम योजना में प्लॉट की मूल आवंटी डॉ. सपना गुप्ता थी। उन्होंने अपने प्लॉट के लिए किस्त भी चुकाई थी। लेकिन सपना का आवंटन निरस्त कर, रिश्तेदार को दिलवा दिया।
सीधी बात
मेरा कोई रिश्तेदार नहीं है
एसबी सिंह, तत्कालीन संभागायुक्त, ग्वालियर
मनोहर लाल भल्ला नाम के एक व्यापारी ने शिकायत की है कि विजय प्रताप सिंह आपका रिश्तेदार है तथा आपका नाम इस्तेमाल करके वह खदानें चला रहा है?
आयुक्त को लीज करने का अधिकार नहीं होता है।
हाईकोर्ट में इस मामले में रिट पिटिशन लगाई गई है और उसमें राम प्रताप व विजय प्रताप को आपका रिश्तेदार बताया है?
यह रामप्रताप कहां के हैं और कौन हैं। मैं नहीं जानता।
यह रामप्रताप भिंड के हैं और दस्तावेज में उन्होंने ग्वालियर में निवास बताया है। उनकी पत्नी गौरी के नाम से लीज दी गई है?
मैं इस नाम के व्यक्ति को नहीं जानता हूं और न ही राम प्रताप मेरे रिश्तेदार हैं। मैं उन्हें नहीं जानता।
आरोप है कि आपने जीडीए की योजना में भी अपने साले राम प्रताप, ससुर सोबरन तथा साडू को एक प्लॉट दिलवाया था?
(यह सवाल सुनने के बाद उन्होंने फोन काट दिया)
जांच कराएंगे
इस मामले की जानकारी मुझे नहीं है। तथ्य मेरे पास आने दो, यदि लीज देने में कोई अनियमितता हुई है तो तथ्य मिलने पर हम एसबी सिंह के खिलाफ जांच कराएंगे।
एंटोनी जेसी डिसा, मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश
कमिश्नर ने दिलाई
बिलौआ में क्रेशर लगाने के लिए एसबी सिंह के रिश्तेदार विजय प्रताप सिंह को तीन वर्ष के लिए लीज देकर पांच वर्ष का नवीनीकरण किया गया। राजावत स्टोन इंडस्ट्रीज की लीज बिना एनओसी के स्वीकृत की गई हैं। कोर्ट में भी रिट पिटीशन लगाई है और इसमें एसबी सिंह का उल्लेख किया है।
मनोहर लाल भल्ला, शिकायतकर्ता
कोई रिश्तेदारी नहीं
एसबी सिंह मेरे रिश्तेदार होते, तो मुझे 2011 में लीज के पजेशन के लिए दो साल इंतजार नहीं करना पड़ता। 2013 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुझे पजेशन मिला। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी मुझे हाईकोर्ट से ही मिली। मनोहर लाल भल्ला के ऊपर ही कई प्रकरण हैं।
विजय प्रताप सिंह, संचालक, राजावत स्टोन इंडस्ट्रीज