नगरनिगम में संपत्तिकर घोटाला

भोपाल। संपत्तिकर वसूलने के बाद भी नगर निगम के खाते में जमा करने के बजाय जेब के हवाले किए जा रहे हैं।

इसके लिए उपभोक्ताओं को दी जाने वाली मैन्युअल रसीदों पर तो हजारों रुपए अंकित किए गए, लेकिन निगम के रिकार्ड में रहनेवाली कार्बन रसीद में चंद रुपए ही दर्ज किए गए। इस तिकड़म से बीते चार साल में करीब 28 लाख रुपए हड़पे गए। यह कारनामा है, वार्ड-41 का, जिसके दो पूर्व वार्ड प्रभारियों को लाखों का घोटाला उजागर होने के बाद दूसरे वार्डों में पदस्थ कर दिया गया है।

एक ओर नगर निगम को आर्थिक दलदल से उबारने के लिए निगम आयुक्त कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर, निगम के ही भ्रष्ट कर्मचारी लाखों रुपए का चूना लगाने के बाद भी महफूज और सुकून से हैं। निगम प्रशासन की हालत यह है कि, ठेकेदारों एवं अन्य मदों में भुगतान करने के लिए बजट नहीं बचने के चलते चेक जारी नहीं हो पा रहे हैं। कर्मचारियों को वेतन तक 10 दिसंबर के बाद ही मिल सका है, जबकि 89 दिवसीय और 25 दिवसीय श्रमिकों को तो अभी भी पूरी तरह से वेतन नहीं मिला है। इसीलिए आयुक्त ने जोनवार वसूली की मानीटरिंग के लिए आधिकारियों की टीमें बनाई हैं। इसके साथ ही जोनवार समीक्षा भी की और कडे निर्देश भी दिए थे, लेकिन वार्डों में सालों से जमे रहने वाले वार्ड प्रभारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।

ऐसे आया घोटाला सामने

वार्ड- 41 में 7 अक्टूबर को जिंसी में क्रिसेंट स्कूल के पास नल कनेक्शन के लिए चार रसीदें काटी गइं, जबकि 4 अक्टूबर से विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से आदर्श आचार संहिता लग चुकी थी। हद तो यह है कि, इसके बाद आनन-फानन में नल कनेक्शन भी हो गए। कायदे से नल कनेक्शन के लिए फाइल बनती है और फिर वार्ड पार्षद एवं जोन में एप्रूव होकर मौका मुआयना के बाद ही नवीन कनेक्शन होता है। ऐसा नहीं होने पर वार्ड पार्षद अजीज उद्दीन ने पड़ताल की तो पता चला कि कनेक्शन के लिए बिना फाइल बनाए और बिना राशि निगम खाते में जमा करवाए ही कनेक्शन किए गए। इस तरह वार्ड पार्षद से लेकर जोन अधिकारी और जलकार्य विभाग के सहायक यंत्री एवं अन्य कर्मचारी शंका के घेरे में आ गए।

दूसरे वार्ड में भेजा प्रभारी को

इस गड़बड़ी का पता चलने के बाद पार्षद अजीज उद्दीन ने 10 अक्टूबर को कमिश्नर विशेष गढ़पाले से शिकायत की, जिसके बाद 1 नवंबर को वार्ड प्रभारी दीपक भालेराव को हटाकर वार्ड-46 में पदस्थ कर दिया गया। इस पूरे मामले की जांच के लिए उपायुक्त, संपत्तिकर श्रीराम तिवारी की अगुवाई में जांच टीम बना दी। इससे पहले पदस्थ रहे प्रभारी अवधनारायण मकोरिया भी वार्ड-64 में पदस्थ हैं। संपत्तिकर की रसीदें काटने में गड़बड़ी करने वाला भृत्य श्याम सिंह भी पंद्रह दिन से गायब बताया जा रहा है।

इस तरह किया 28 लाख का घोटाला

वार्ड-41 में बीते चार साल से संपत्तिकर एवं अन्य करों को जमा करवाने में गडबडी करके करीब 28 लाख रुपए हडपने का शुरुआती अनुमान है, जो कि जांच के बाद और बढ़ना तय माना जा रहा है। उपभोक्ताओं से नल कनेक्शन के लिए 20 रुपए फार्म और 1300 रुपए कनेक्शन के लेकर रसीद भी दे दी गई, लेकिन कार्बन रसीद में सिर्फ 20 रुपए ही दर्शाए गए। यह किया गया कि, ऊपर की उपभोक्ता को दी जाने वाली रसीद में 1320 रुपए दर्शाए गए, लेकिन कार्बन नहीं लगाया गया। इस तरह निगम रिकार्ड में रहने वाली रसीद के ऊपर फिर से कार्बन रखकर सिर्फ 20 रुपए अंकित किए गए। इस तरह निगम खाते में सिर्फ 20 रुपए जमा हुए और करीब 1300 हजार रुपए हड़प लिए गए, जिसकी पुष्टि इसी से होती है कि इन रसीदों के नंबर से लेजर में सिर्फ 20 रुपए के हिसाब से ही जमा दर्शाए गए हैं। सूत्रों की माने तो 2010 से लेकर चालू वित्तीय वर्ष 2013-14 तक करीब 28 लाख रुपए निगम खाते के बजाय जेब के हवाले कर लिए गए।

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