चुपचाप भोपाल आए भूरिया, गुमसुम रहे और चले गए

भोपाल। भूरिया को यह दिन भी देखना पड़ेगा मध्यप्रदेश में ज्यादातर राजनैतिक पंडितों को तो पता था लेकिन शायद भूरिया को पता नहीं था। इसीलिए अपने सपनों के टूटने के बाद भूरिया खुद भी पूरी तरह से टूट गए।

सोमवार को अचानक कांग्रेस के प्रदेशअध्यक्ष पार्टी मुख्यालय पहुंचे, संगठन के नए प्रभारी बनाए गए रवि जोशी, सहित कुछ अन्य पदाधिकारियों से चर्चा की। फिर वहां से निकलकर थोड़ी देर के लिए अपने बंगले पर रूके और फिर झाबुआ के लिए रवाना हो गए।

बंगले पर पहले की तरह न तो कार्यकर्ताओं को उनसे मिलने की बेसब्री थी और न ही भीड़। कार्यकर्ताओं ने चुनाव में मिली हार के लिए कारणों को गिनाना शुरू कर दिया। उसे सुनकर भूरिया भी पार्टी की हार पर अफसोस जताते रहे।

भूरिया ने सपना देख रखा था कि उनकी दम पर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी और वो मध्यप्रदेश के सीएम होंगे। मगर अब उन्हें पूरी जिंदगी इसी बात का मलाल रहेगा कि उनके हाथ से एक सुनहरा मौका निकल गया। भूरिया के मुख्यमंत्री बनने का सपना अब कभी पूरा भी हो पाएगा,यह बता पाना बहुत कठिन है।


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