भोपाल। विंध्याचल भवन की दूसरी मंजिल पर लगी आग के कारणों पर से पांच दिन बाद भी परदा नहीं उठ सका है। पुलिस हो या सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (सीएफएसएल), इस सवाल पर दोनों जांच एजेंसियों ने चुप्पी साध ली है।
हालांकि, भोपाल पुलिस की एफएसएल ने घटना के दूसरे ही दिन शॉर्ट सर्किट से आग लगने का अंदेशा जता दिया था। मंगलवार को मीडिया ने सीएफएसएल के वैज्ञानिकों से इस संबंध में बात करनी चाही, लेकिन कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ।
सीएफएसएल से जुड़े सूत्र जांच का हवाला दे रहे हैं। मंगलवार दोपहर सीएफएसएल की टीम तीसरी बार विंध्याचल भवन के दफ्तर पहुंची और सैंपल इकट्ठा किए। बीते गुरुवार देर रात लगी आग में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के लेखा, बजट और स्थापना शाखा से जुड़े सभी दस्तावेज जलकर खाक हो गए थे। चुनाव परिणाम आने से पहले लगी आग पहले दिन से ही सवालों के घेरे में है।
20 कर्मचारियों के बयान दर्ज
जहांगीराबाद टीआई बीएस चौहान ने बताया कि मंगलवार को विंध्याचल भवन पहुंचकर इस मामले में 20 कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए हैं। उनसे घटना के दिन का ब्यौरा लिया गया। इसमें दफ्तर पहुंचने, निकलने के समय के अलावा कहां बैठते हैं और क्या करते हैं, जैसे सवाल किए गए। घटना के बाद से ही विंध्याचल भवन में बगैर अनुमति किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।
भ्रष्टाचार के साक्ष्य जला दिए: भूरिया
कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया का कहना है कि सत्ता में लौटने पर उनकी पार्टी आग लगने के कारणों की नए सिरे से जांच करवाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की योजनाओं में भ्रष्टाचार किया गया है। इससे जुड़ी कुछ फाइलें यहां रखी थीं, जो जलकर खाक हो गई हैं। अब घटना की जांच कर रही एजेंसियों पर भी सरकार दबाव बना रही है।