तिरुअनंतपुरम। पेड न्यूज यानी पैसे देकर खबर प्रकाशित या प्रसारित कराने की प्रवृत्ति पर चुनाव आयोग ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। उसने कानून मंत्रालय से सिफारिश की है कि पेड न्यूज को चुनावी अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाए।
बकौल मुख्य निर्वाचन आयुक्त वीएस संपत, 'पेड न्यूज की प्रवृत्ति चुनावी प्रक्रिया को बुरी तरह चौपट कर रही है।'
शनिवार को केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में चुनाव सुधारों पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए संपत ने यह जानकारी दी। उनके अनुसार, 'पेड न्यूज के भ्रष्ट दुष्प्रभाव से मीडिया, उम्मीदवार और आम जनता सभी प्रभावित हो रहे हैं। इसके कारण निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया को भारी नुकसान हो रहा है।'
संपत ने कहा कि पेड न्यूज को चुनावी अपराध इसलिए बनाया जाए ताकि इसमे शामिल सभी लोगों को उनकी करनी की उचित सजा मिल सके। इसी क्रम में उन्होंने राजनीतिक दलों के लिए चुनावी आचार संहिता बनाने पर जोर दिया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त के मुताबिक चुनावों से ठीक पहले सरकार में बैठे लोगों द्वारा अपनी सरकार की उपलब्धियों की बखान वाले विज्ञापनों को देने की परंपरा को बंद किया जाना चाहिए।
संपत ने सियासी दलों के फंड की आडिट कराने के साथ ही उनके कामकाज में पारदर्शिता लाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रभावी चुनाव सुधारों के लिए राजनीति के अपराधीकरण के खात्मे के साथ-साथ इन मुद्दों पर भी फौरी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने माना कि चुनाव सुधारों के रास्ते पर आगे बढ़ने की रफ्तार अभी बेहद धीमी है। इस दिशा में अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
मतदान को कानूनन अनिवार्य बनाने की संभावना से इन्कार करते हुए संपत का कहना था, 'पिछले आम चुनावों में करीब 30 करोड़ लोगों ने वोट नहीं डाले। अगर मतदान अनिवार्य होता तो चुनाव आयोग को इतने लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराना पड़ता। इससे न्यायपालिका समेत आयोग पर गैरजरूरी बोझ बढ़ेगा।' उन्होंने बताया कि मौजूदा लोक सभा का कार्यकाल अगले वर्ष 31 मई तक है। आयोग इसके पूर्व संसदीय चुनाव संपन्न करा लेगा।