भोपाल। कांतिलाल भूरिया का कहना है कि सिंधिया के फ्रंट में आ जाने के कारण मध्यप्रदेश में आदिवासियों ने कांग्रेस को वोट नहीं दिए, यदि सिंधिया ना होते तो आदिवासियों का वोट जरूर मिलता, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि सिंधिया और आदिवासियों के बीच दुश्मनी क्या है।
विधानसभा चुनाव में मिली हार के की नैतिक जिम्मेदारी लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश कर चुके सांसद कातिलाल भूरिया ने हार के लिए चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और केंद्रीय ऊर्जामंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर एक बार फिर निशाना साधा है।
शनिवार को भोपाल स्थित अपने बंगले पर अनौपचारिक चर्चा में भूरिया ने हार के कारणों में सिंधिया को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाये जाने को एक गलत निर्णय मानते हुए कहा कि सिंधिया जब चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष बनकर आए तो मीडिया ने चुनाव को शिवराज बनाम सिंधिया बताकर खूब चढ़ाया-बढ़ाया। इसके चलते प्रदेश भर के आदिवासियों में उलझन की स्थिति बनी और हमे इससे काफी नुकसान उठाना पड़ा।
भूरिया अपने संसदीय क्षेत्र की सभी आठ सीटें हार गए। जबकि यह क्षेत्र भूरिया के असर वाला माना जाता है। भूरिया ने कहा कि आदिवासी अंचलों में मेरे द्वारा कराए गए गोपनीय सर्वे को भी उतनी अहमियत नहीं मिल पाई। हैरानी की बात यह है कि हार के लिए सामूहिक जिम्मेदारी लेने से बचने की कोशिशें करते हुए कांग्रेस नेता लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर जुटने की बजाय एकदूसरे पर अभी भी आरोप-प्रत्यारोप लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
गौरतलब है कि चुनावी हार के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया नैतिक रूप से जिम्मेदारी लेने की बात कह चुके हैं। हार के बाद राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी ने राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह पर हमला बोलते हुए हार का दोषी ठहराया था। चुनावी हार से सबक लेने की बात कहने वाले कांग्रेस नेताओं के बीच गुटीय संघर्ष खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।