रदीप ठाकुर/नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों से बढ़ती हुई महंगाई का असर समाज के हर तबके के लिए चिंता का विषय रहा है और इसका असर जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ा है लेकिन क्या आपको पता है कि इस दौरान किन सेवाओं और चीजों की कीमतों में सबसे तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है? तो सीएसओ द्वार जारी एक रिपोर्ट के अनुसार स्कूल की फीस पर इस दौरान महंगाई का सबसे ज्यादा असर हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान मार्च 2004 से मार्च 2013 तक स्कूल फीस में 433 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। राइट टू एजूकेशन जैसे महत्वाकांक्षी बिल को पास करने वाली यूपीए सरकार के कार्यकाल में स्कूली फीस पर महंगाई की यह मार विडंबना ही है। सीएसओ ने ग्रामीण रीटेल कीमतों के अध्ययन पर आधारित अपने आंकड़े में बताया है कि मार्च 2004 में स्कूली फीस 48.7 रुपये प्रति स्टूडेंट थी जो मार्च 2013 में बढ़कर 259.6 रुपये प्रति स्टूडेंट हो गई।
पिछले नौ सालों में स्कूली फीस के बाद कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी के मामले में आम दूसरे स्थान पर है। इस दौरान आम की कीमतों में 320 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई हैा। नौ साल पहले आम की कीमतें 16 रुपये प्रति किलो से बढ़कर अब औसतन 67 रुपये प्रति किलो तक जा पहुंची हैं। इस दौरान जिन अन्य चीजों के दामों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई उनमें संतरे (275%), काली मिर्च (232%), बीफ (229%) और बफेलो मीट (228%) शामिल हैं।
सबसे ज्यादा खपत वाले चीजों में जिनके दामों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई उनमें मटन (210%), नमक (182%) और मूंग दाल (190%) ने लोगों की जेब पर सबसे ज्यादा असर डाला। आलम यह रहा कि इस दौरान सिगरेट की कीमतों में भी 188 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। ये आंकड़ें ग्रामीण रीटेल कीमतों पर आधारित हैं। इसलिए शहरी क्षेत्रों में इस दौरान बढ़ी कीमतों में फर्क हो सकता हैं, हालांकि ज्यादातर चीजों के मामले में यह बढ़ोतरी ज्यादा ही हो सकती है। लेकिन अगर बड़े परिदृश्य में देखें तो कीमतों में बढ़ोतरी के मामले में शहरी और ग्रामीण इलाकों में खास अंतर होने की संभावना कम ही है।
हालांकि महंगाई के इस दौर में भी कुछ सेवाओं और चीजों के दामों में ठहराव आया या कमी भी दर्ज की गई। इनमें पोस्टकार्ड, इनलैंड लेटर्स (अंतर्देशीय पत्र) और लोकल रेल किराए शामिल हैं। एक वयस्क के लिए न्यूनतम रेल किराया नौ साल पहले के 8.8 रुपये से 7 प्रतिशत घटकर 8.1 रुपये हो गया। इस दौरान इनलैंड लेटर्स (अंतर्देशीय पत्र) के दामों में कोई बढ़ोतरी नही हुई। मार्च 2004 में इंनलैंड लेटर्स (अंतर्देशीय पत्र) की कीमत 2.50 रुपये थी, जो मार्च 2013 में भी उतनी ही थी। इन नौ सालों में पोस्टकार्ड के दाम में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। नौ साल पहले भी एक पोस्टकार्ड की कीमत 50 पैसे थी जो आज भी वही है।
इस दौरान ट्रांजिस्टर की कीमत में बहुत कम बढ़ोतरी हुई। एक ट्रांजिस्टर की औसत कीमत 2004 में 421 रुपये थी जो अब बढ़कर 481 रुपये हो गई है, जो पिछले नौ सालों के दौरान इसमें हुई महज 10 प्रतिशत बढ़ोतरी को दिखाता है।