भोपाल। प्रदेश में मतगणना के पहले ही डाक मतपत्र निरस्त होने का मामला सामने आया है। मामला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुदनी से जुड़ा हुआ है। केन्द्रीय चुनाव आयोग में कांग्रेस ने शिकायत की थी कि डाक मतपत्र देने में गडबड़ी हो रही है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को जांच के आदेश दिए थे। सीईओ कार्यालय ने संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एसएस बंसल को भेजकर ताबड़तोड़ जांच कराई और आयोग ने रिपोर्ट के आधार पर 33 डाक मतपत्रों को निरस्त करने का निर्णय कर लिया।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल कुछ दिनों पहले केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त व्हीएस संपत से मिला था। इसमें मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में डाक मतपत्र में गड़बड़ी की शिकायत की गई थी। आयोग के निर्देश पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने बुधवार को संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एसएस बंसल को भेजकर जांच कराई। जांच रिपोर्ट देर रात आयोग को भेजी गई थी। आयोग ने रिपोर्ट के आधार पर 24 नवंबर के बाद भौतिक रूप से प्राप्त किए गए करीब 33 डाक मतपत्रों का निरस्त कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि रिटर्निग ऑफिसर डाक मतपत्र में कर्मचारियों के नाम आदि जानकारी भरकर सीहोर से बुदनी इस मंशा के साथ ले गए थे कि कर्मचारियों को इन्हें दे देंगे ताकि वे भरकर अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें। इसको लेकर ही मुख्य रूप से शिकायत हुई थी। जांच में गड़बड़ी तो कुछ खास नहीं पाई गई लेकिन इस प्रक्रिया को उचित नहीं माना गया।
सीईओ, कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि जांच में जिस दिन से कर्मचारियों को डाक मतपत्र जारी किए गए और जमा हुए, उसका रजिस्टर में सिलसिलेवार मिलान किया गया। इसमें ही पाया गया कि 24 नवंबर के बाद भी भौतिक रूप से डाक मतपत्र प्राप्त किए गए। जबकि, इस तारीख के बाद केवल डाक के माध्यम से ही डाक मतपत्र प्राप्त करने के नियम हैं। चुनाव की प्रक्रिया पर किसी तरह के सवाल न उठें, इसलिए चुनाव आयोग ने बिना देर किए 33 डाक मतपत्रों को निरस्त कर दिया है।